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स्वास्थ्य

हॉरर और महामारी पर बनी फिल्में देखने वाले फैन कोरोना से लडऩे में ज्यादा सक्षम-शोध

दरअसल यह कुछ लोगों के लिए खुद को एक सुरक्षित दूरी पर रखते हुए खतरनाक परिस्थितियों में खुद को उलझाने और सुरक्षित बाहर आने की कल्पना है।

Jul 31, 2020 / 12:29 pm

Mohmad Imran

हॉरर और महामारी पर बनी फिल्में देखने वाले फैन कोरोना से लडऩे में ज्यादा सक्षम-शोध

हॉरर और महामारी पर बनी फिल्में देखने वाले फैन कोरोना से लडऩे में ज्यादा सक्षम-शोध,हॉरर और महामारी पर बनी फिल्में देखने वाले फैन कोरोना से लडऩे में ज्यादा सक्षम-शोध,हॉरर और महामारी पर बनी फिल्में देखने वाले फैन कोरोना से लडऩे में ज्यादा सक्षम-शोध

कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के दौरान किए गए एक नए अध्ययन में सामने आया है कि डरावनी, भुतहा (Horror Movies), महामारी और सर्वनाश (apocalyptic gener) दिखाने वाली फिल्में देखने वाले दर्शकों को दूसरों की तुलना में कोविड-19 वायरस का संक्रमण होने का खतरा कम है और वे महामारी के इस दौर में भी सुरक्षित हैं। दशकों से शोधकर्ताओं के मन में यह सवाल कायम है कि आखिर भयावह और विनाश का चित्रण करने वाली फिल्में एक खास दर्शक वर्ग को क्यों पसंद आती हैं। हालांकि इसका कोई एक जवाब नहीं हो सकता।
हॉरर और महामारी पर बनी फिल्में देखने वाले फैन कोरोना से लडऩे में ज्यादा सक्षम-शोध

सामना करना सीखते
एक परीक्षण के अनुसार दर्दनाक काल्पनिक कहानियों पर बनीं फिल्में दर्शकों को एक सुरक्षित वातावरण में जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाती हैं। अध्ययन के प्रमुख लेखक कॉल्टन स्क्रिवनर का कहना है कि एक अच्छी फिल्म हमें आकर्षित करती है और हम फिल्म के पात्र में खुद के देखने लगते हैं। इस तरह हम फिल्म देखने के दौरान दृश्य-दर दृश्य उस काल्पनिक चुनौतियों का भी सामना कर रहे होते हैं जिससे वह पात्र जूझ रहा है। इस तरह लोग अनजाने ही ऐसे खतरों, महामारियों, विनाश और भुतहा हादसों से लडऩा सीख जाते हैं। इसे परखने के लिए कॉल्टन और उनकी टीम ने ऐसे 310 लोगों पर परीक्षण किया।

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हॉरर फिल्मों के शौकीनों को डर नहीं
कॉल्टन ने परीक्षण में भाग लेने वाले इन लोगों से प्रश्नावली आधारित साक्षात्कार में पूछा कि वे किस तरह की फिल्में देखना पसंद करते हैं? क्या उन्हें डरावनी, विनाश, एलियन आक्रमण (Alien Attack), युद्ध की त्रासदी और महामारियों के विषय पर बनीं फिल्में देखने पर आनंद महसूस होता है? कॉल्टन ने लोगों से यह भी पूछा कि वे कोरोना महामारी से लडऩे के लिए कितने तैयार थे? क्या कोरोना संक्रमण के दुनियाभर में फैल जाने के बाद उन्होंने मनोवैज्ञानिक रूप से कोई परेशानी (Psychological problems) महसूस की? इन सवालों के जवाब बहुत दिलचस्प थे। मसलन, डरावनी फिल्में देखने के शौकीन दर्शकों ने कहा कि उन्हें कोरोना महामारी के बाद किसी तरह का अवसाद या मनोवैज्ञानिक परेशानी नहीं हुई। हालांकि, उन्होंने इस दौरान महामारी से लडऩे की विशेष तैयाारी भी नहीं की थी।
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सर्वनाश और एलियन फिल्मों के दर्शक ज्यादा तैयार
लेकिन डरवानी और महामारी फिल्मों के दर्शकों की तुलना में सर्वनाश (Like Hollywood Movies 2012 and Independence Day) और पृथ्वी पर एलिएंस के आक्रमण (alien invasions like in Avengers Series and Armageddon) को पसंद करने वाले दर्शकों ने बताया कि वे किसी भी महामारी के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वे ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए पूर्व में तैयारी करने पर जोर देते हैं और हमेशा खुद को ऐसे हालातों के लिए लचीला बनाए रखते हैं। खासकर वायरस (Virus) और परमाणु विकिरण (Nuclear Radiation) जनित महामारी के लिए उन्होंने सुरक्षात्मक तौर-तरीकों पर ज्यादा ध्यान देने की बात कही।
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कंटेजियन बनी सबसे लोकप्रिय ओटीटी फिल्म (Contagion became Most watched Movie)
मार्च के महीने में जब कोरोना संक्रमण तेजी से एक से दूसरे देश में फैल रहा था तब स्टीवन सोडरबर्गस की थ्रिलर फिल्म ‘कंटेजियन’ (Contagion-2011) अचानक ऑनलाइन स्ट्रमीमिंग प्लेटफॉर्म्स (streaming platforms) और ओटीटी (OTT Platforms) पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली (Most watched Movie) फिल्मों की सूची में शुमार हो गई। इस घटना ने लोगों को हैरान कर दिया। एक अन्य नए शोध पत्र में कॉल्टनर ने बताया कि लोग कोरोना महामारी के दौरान लोग इंटरनेट और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर ऐसी फिल्में ज्यादा खोज रहे थे जिनमें जनसंहार या महामारी के कारण लाखों लोगों की जान गई हो और पूरी दुनिया में व्यवधान पैदा हो गया हो।
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कॉल्टन के अनुसार अनियंत्रित चुनौतियों का सामना करने की इस अजीब प्रवृत्ति को ‘मोरबिड क्यूरिओसिटी’ (morbid curiosity) कहते हैं। ऐसे लोग महामारी और सर्वनाश में भी मनोरंजन ढूंढते हैं जबकि इस दौरान वास्तव में एक महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी मुट्ठी में लिया हुआ है। कॉल्टन कहते हैं कि दरअसल यह कुछ लोगों के लिए खुद को एक सुरक्षित दूरी पर रखते हुए खतरनाक परिस्थितियों में खुद को उलझाने और सुरक्षित बाहर आने की कल्पना है। इस तरह वे ऐसी खतरनाक और नियंत्रित न किए जा सकने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने और उन काल्पनिक अनुभवों से सीखने की क्षमता से लैस करता है।

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