-एंथोनी फाउशी, एलर्जी एवं संक्रामक रोग के राष्ट्रीय संस्थान के निदेशक
-बैरी ब्लूम, हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ के पूर्व डीन एवं रिसर्च प्रोफेसर
-पॉल वोलबर्डिंग, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय,सैन फ्रांसिस्को में मेडिसिन और एपिडेमिओलॉजी के प्रोफेसर
-एलिज़ाबेथ कॉनिक, एरिज़ोना विश्वविद्यालय में मेडिसिन और इम्यूनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और संक्रामक रोग विशेषज्ञ
-लिंडा बैल, दक्षिण कैरोलाइना राज्य की महामारी विशेषज्ञ
-डेविड सैचर, अमरीका के पूर्व स्वास्थ्य सचिव, रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (सीडीसी) के पूर्व निदेशक
जवाब: एंथोनी फाउशी का कहना है कि मास्क पहनना बहुत जरूरी है, लेकिन अकेले होने, घर पर पत्नी-बच्चों और सार्वजनिक रूप से बोलते समय जब श्रोताओं ओर मुझमें कम से कम 6 फीट की दूरी हो मैं मास्क नहीं पहनता। ऐसे ही कॉनिक का कहना है कि सुबह की सैर, पड़ोस में वे मास्क नहीं पहनते लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर पहनती हैं। अन्य विशेषज्ञों वोलबर्डिंग, लिंडा बैल, डेविड सैचर और बैरी ब्लूम का भी यही कहना है कि वे अकेले अपने ऑफिस या घर पर मासक का प्रयोग नहीं करते लेकिन सार्वजनिक स्थानों या लोगों से मिलने जुलने के दौरान मास्क जरूर पहनते हैं। यानी मास्क पहनना सुरक्षा की दृष्टि से कोविड-१९ के खतरे को कई गुना तक कम कर देता है।
जवाब: फाउशी ने बताया कि उनकी सफाईकर्मी प्रत्येक दो सप्ताह में एक बार घर की साफ-सफाई के लिए आती है और काम करने के दौरान वह फेस मास्क, ग्लव्ज और अन्य जरूरी उपकरण या नियमों की पालना करती है। पेस्ट कंट्रोल और अन्य जरूरी कामों के लिए सफाईकर्मी को अनुमति है लेकिन उसके काम करने के दौरान या तो वे लोग घर से बाहर होते हैं या एक निश्चित दूरी बनाए रखते हैं। कुछ तो ऑफिस जाने के बाद आते हैं ताकि घर में बहुत ज्यादा लोग मौजूद न रहें।
जवाब: इस सवाल के जवाब में ज्यादातर ने कहा कि वे खुद ही सामान खरीदने जाते हैं। लेकिन इस दौरान वे मास्क पहनकर रखते हैं, लोगों से कम से कम दो मीटर या 6 फुट की दूरी बनाए रखते हैं। हाथों में ग्लव्ज पहनते हैं और जो सामान लेना होता है उसकी लिस्ट बनाकर ले जाते हैं ताकि बेवजह अन्य सामानों को न छूना पड़े। ये भी सुझाव दिया कि सामान खरीदने सामान्य समय पर न जाकर ऐसे समय जाएं जब ज्यादा भीड़ न हो जैसे दोपहर या रात में। सामान घर लाने के बाद वे उन्हें धोते नहीं बस उन्हें बाहर निकालकर 24 घंटे के लिए खुला छोड़ देते हैं। अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह धोते हैं और उसके बाद कोई क्रीम लगा लेते हैं ताकि हाथ खुश्क न हों। सामान लेने भी रोज या बार-बार न जाकर एक बार में ही पूरी शॉपिंग कर लेना सही है। सभी ने यही कहा कि वे सामान को धोते या डिस-इन्फेक्ट नहीं करते लेकिन उन्हें सीधे उपयोग करने की बजाय कम से कम एक दिन या एक सप्ताह के लिए छोड़ देते हैं।
जवाब: फाउशी बोले कि वे टेकआउट यानी पैक करवाते हैं लेकिन रेस्टोरेंट्स में नहीं जाते। ऐसे ही अन्य लोगों ने भी तंग जगहों और भीड़ वाली जगहों पर खाना-पीना बंद किया हुआ है। कॉनिक तो ऐसी तंग जगहों पर मास्क लगे होने या लोगों के मासक लगाए रहने के बाद भी जाना नहीं चाहतीं। हां खाना पैक करवाती हैं। ज्यादातर लोगों ने बजाय किसी रेस्टोरंट के अंदर बैठकर खाने के हम बाहर खुली जगह में बैठकर खाना पसंद करेंगे। यानी फिलहाल बाहर खाना खाने से बचें और दूरी रखें।
जवाब: ज्यादातर ने कहा कि केवल बहुत जरूरी होने या आपातकालीन परिस्थितियों में ही वे सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करेंगे। कॉनिक बोलीं केवल शौक या सामान्य कामों के लिए प्लेन में नहीं बैठूंगी। जाना भी पड़ा तो एन-95 मास्क पहनूंगा। लेकिन न जाना ही मेरी पहली प्राथमिकता होगी। ज्यादातर ने कहा कि जूम और वीडियो कॉलिंग ऐप्स की मदद से घर बैठे ही मीटिंग्स और अन्य बैठकें निपटाई जा सकती हैं ऐसे में बेवजह संक्रमण के बीच यात्रा करना समझदारी नहीं कही जा सकती। ऐसे ही जिम, स्विमिंग पूल और वॉक के लिए भी सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए इन चिकित्सा विशेषज्ञों ने मना कर दिया।
जवाब: ऑफिस में अकेले होन पर मास्क नहीं लगाते। हम अपने ऑफिस में आने वाले प्रत्येक कर्मचारी का प्रतिदिन रुटीन स्क्रीनिंग करते हैं। अगर कोई बीमार है तो उसे तुरंत घर भेज दिया जाता है। ऐसे ही एचआइवी पॉजिटिव या अन्य क्रॉनिक बीमारी वाले व्यक्ति को भी सांस लेने में तकलीफ या बुखार होने पर घर रहने को कहते हैं और उससे फोन पर संपर्क में रहते हैं। ज्यादातर को ऑफिस में सर्जिकल मास्क, फेस शील्ड और स्क्रीनिंग में बीमार पाए जाने पर व्यक्ति से संक्रमण होने के खतरे को देखते हुए एम-95 मास्क और गॉगल्स भी पहनते हैं।
फाउसी: मुझे उम्मीद है कि एक से ज्यादा वैक्सीन आ सकती हैं। इस साल के अंत में या 2021 के शुरुआती महीनों में।
कॉनिक: आने वाले 6 महीनों में कोई न कोई वैक्सीन उपलब्ध होगी, हालांकि ऐसा हुआ तो सह चमत्कार से कम नहीं होगा।
वोलबर्डिंग: वैक्सीन बनाना असल चुनौती नहीं है, सबसे बड़ी परीक्षा तो इसे लाखों लोगों पर एक साथ प्रभावी रूप से परीक्षण करना है। अगर सभी घर में ही रहेंगे तो आपको कैसे पता चलेगा कि वैक्सीन काम कर रही है इसके लिए प्लेसीबो कंट्रोल की जरुरत होगी। मेरे खयाल में एक साल अभी और वैक्सीन का आना संभव नहीं।
लिंडा बैल: वैक्सीन बनाने की पूर्व रफ्तार और एक कारगर वैक्सीन की जरुरत को देखते हुए 2021 के आखिर तक ही कोई पुख्ता वैक्सीन बन पाएगी।
डेविड सैचर: 2021 से पहले मुझे किसी भी वैक्सीन के आने की उम्मीद नहीं है। वैक्सीन बनाना कोई आसान काम नहीं है और यह वायरस तो अब तक २४ बार स्ट्रेन बदल चुका है। ऐसे में इस वायरस का कोई एक संभावित टीका बना पाना आसान काम नहीं है।