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इंसुलिन की कमी से दिमाग प्रभावित, याद्दाश्त में कमी जैसे दिखते लक्षण

Published: Dec 27, 2019 02:04:55 pm

Submitted by:

Divya Sharma

आमतौर पर टाइप-1,2 और जस्टेशनल डायबिटीज के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। रोगों की बढ़ती संख्या की बात करें तो टाइप -3 डायबिटीज के मामले भी सामने आ रहे हैं। इस प्रकार के मधुमेह में ब्लड शुगर के स्तर में कोई फर्क नहीं पड़ता है। बल्कि दिमाग जब इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता और किसी व्यक्ति को लंबे समय से पैन्क्रियाज संबंधी रोग है तो इस रोग की आशंका बढ़ती है।

इंसुलिन की कमी से दिमाग प्रभावित, याद्दाश्त में कमी जैसे दिखते लक्षण

इंसुलिन की कमी से दिमाग प्रभावित, याद्दाश्त में कमी जैसे दिखते लक्षण

50-70 % पैन्क्रियाज संबंधी रोगों के मरीजों में भविष्य में इस रोग के होने का खतरा
05 % पैन्क्रियाज कैंसर के मरीज को भी टाइप ३ डायबिटीज की आश्ंाका रहती है
ध्यान रखें :
-देश में डायबिटीज के 40 प्रतिशत व मोटापा के 25-30 फीसदी मरीज। 2035 तक संख्या दोगुनी हो जाएगी
-सतर्कता, एकाग्रता और याद्दाश्त में कमी होने के साथ वजन बढ़े तो ध्यान दें। वजन कंट्रोल करें।
-मोटापाग्रस्त, व्यायाम न करने वाले और जिनका बीएमआई ज्यादा होता है, उन्हें रोग की आशंका।
-किसी रोग से ग्रस्त व्यक्ति जो लंबे समय से दवा ले रहे हों उनमें भी रोग की आशंका बनी रहती है।
डायबिटीज शरीर में मौजूद अंत:स्त्रावी गं्रथि पैन्क्रियाज से जुड़ा रोग है। पेट के ऊपरी भाग में पीछे की तरफ स्थित यह गं्रथि पाचन के लिए उपयोगी एंजाइम्स का निर्माण कर भोजन को शरीर के लिए एनर्जी (ग्लूकोज) में परिवर्तित करने का काम करती है। यह ब्लड शुगर के स्तर को संतुलित रखती है।
विभिन्न अंग प्रभावित
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के पिं्रसिपल व डायबिटोलॉजिस्ट डॉ सुधीर भंडारी के अनुसार इंसुलिन रेसिस्टेंट विभिन्न अंगों पर असर करता है। दिमाग जब इंसुलिन का उपयोग नहीं करता तो ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। ऐसे में डायबिटीज-3 की स्थिति बनती है। वहीं, जब किडनी इंसुलिन का प्रयोग नहीं कर पाती तो फेल हो जाती है। हृदय यदि ऐसा नहीं कर पाता है तो अटैक आ जाता है। जो भी अंग इंसुलिन का प्रयोग नहीं कर पाता तो ग्रस्त हो जाता है। ऐसा पेन्क्रियाज के साथ ही होता है।
हो सकते हैं कई कारण
एसएमएस अस्पताल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अशोक झाझडिय़ा के अनुसार खानपान में पौष्टिक चीजें न लेना व शरीर में पाचक रसों की कमी व अपच के कारण जिन लोगों को लंबे समय से पैन्क्रियाज में सूजन व संक्रमण की समस्या है, उनमें टाइप-3 डायबिटीज की आशंका रहती है। अधिक शराब पीने, जिनके शरीर में गॉल ब्लैडर स्टोन व जेनेटिक म्यूटेशन होता है या कोई दवा ले रहे हैं तो इसका खतरा अधिक रहता है।
मुख्य लक्षण
इस डायबिटीज के लक्षण अन्य प्रकार की डायबिटीज से अलग होते हंै क्योंकि इसमें दिमाग की कमजोर कार्यप्रणाली व पैन्क्रियाज संबंधी लक्षण भी साथ होते हैं। अनियंत्रित रूप से वजन बढऩा, हाल ही हुई घटनाओं को भूलना, पेटदर्द, चिकनाई युक्त स्टूल, बार-बार खाना खाने के बाद ही फे्रश होने की इच्छा होना। खास बात यह है कि इस रोग में ब्लड शुगर की रेंज में कोई दिक्कत नहीं होती है। लेवल स्थिर रहता है।
पैन्क्रियाज फंक्शन टेस्ट
इलाज का तरीका : बीमारी की पहचान के लिए पैन्क्रियाज फंक्शन टेस्ट व अल्ट्रासाउंड और एमआरआइ की जाती है। पैन्क्रियाज संबंधी कोई बीमारी या इस कारण हुई टाइप-3 डायबिटीज शुरुआती अवस्था में है तो दवाओं से नियंत्रित करते हैं। दवाइओं से इंसुलिन के कार्य को नियंत्रित किया जाता है। बार-बार दर्द के साथ यदि स्थिति गंभीर हो जाए तो एंडोस्कोपी करते हैं। गंभीरता के अनुसार पैन्क्रियाज में से स्टोन निकालते हैं या स्टेंट डालना पड़ता है।
बार-बार होता पेट दर्द : दिमाग और पेट से जुड़ी किसी भी समस्या को हल्के में न लें। वजन बढऩे के साथ ही याद्दाश्त में कमी, अपच, पेट दर्द बार-बार होता रहे तो लापरवाही न बरतें, इलाज लें।
वजन नियंत्रित रखें : नियमित 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करें। वजन नियंत्रित रखें। संतुलित आहार लें। मार्केट में मिलने वाली चीजों को कम खाएं।

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