जबलपुर . प्रसव के समय सबसे जरूरी है कि मां-बच्चा स्वस्थ रहें। प्रसव सामान्य होगा या सिजेरियन ये गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु की स्थिति पर निर्भर करता है। ये बात स्त्री रोग विशेषज्ञों ने शनिवार को तिलवारा रोड स्थित होटल में आयोजित एपोंग्स मध्यप्रदेश की राज्य स्तरीय कार्यशाला में कही। उनका कहना था कि सामान्य प्रसव श्रेष्ठ है। इसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए। विशेषज्ञों ने बताया कि डायबिटीज से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्हें संतुलित आहार लेना चाहिए। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार व्यायाम दिनचर्या में शामिल करें।
राज्य स्तरीय कार्यशाला : गर्भाशय बचाने और बीमारी से रोकथाम पर मंथनमानसिक स्वास्थ्य अहम: गर्भवती महिला को अपने मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। गर्भवती महिला किसी प्रकार की चिंता, अवसाद में रहती है तो इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
विशेषज्ञ से ही निकलवाएं गर्भाशय: वर्कशॉप में स्त्री रोग विशेषज्ञों ने कहा कि अगर किसी महिला में गर्भाशय से संबंधित कोई गंभीर समस्या है और नौबत गर्भाशय निकालने की आ जाती है तो विशेष सावधानी बरतें। गर्भाशय स्त्री रोग विशेषज्ञ के परामर्श पर उनसे ही निकलवाएं।
मातृत्व मृत्युदर में कमी लाने का प्रयास: डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि मातृत्व मृत्यु दर में कमी लाना बहुत आवश्यक है। डॉ. अर्चना मिश्रा ने कहा कि गर्भवती महिलाओं में एनिमिया की समस्या कई बीमारियों की जड़ है। डॉ. अर्चना दुबे ने कहा कि बच्चियों में पीसीओडी की समस्या जंक फूड खाने के कारण बढ़ रही है। उन्हें पीरियड से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ता है। गर्भाधान से संबंधित समस्या भी होती है। डॉ. कविता एन सिंह ने एपोंग्स के प्रेसीडेंट का कार्यभार संभाला। इस अवसर पर डॉ. रूपलेखा चौहान व डॉ.माधुरी चंद्रा को लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया गया। डॉ. पूर्वा वड़कर को भी अवॉर्ड मिला।
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