ऐसे करते नाड़ी परीक्षण
जो रोगी नहीं है उसकी नाड़ी की जांच सुबह छह से दस बजे के बीच करते हैं। जो रोगी हैं उनका नाड़ी परीक्षण दस बजे के बाद कभी भी कर सकते हैं। अंगूठे के बगल की अंगुली वात की नाड़ी होती है जो सांप की तरह चलती है। उसके बगल में मध्यमा अंगुली पित्त की नाड़ी होती है जो मेढ़क की तरह व उसके पास की अंगुली कफ की नाड़ी हंस की भांति चलती है। इन नाडिय़ों की गति का भाव लघु-गुरु, साम-निराम, उष्णता या क्षीणता है।
– शंभू शर्मा, नाड़ी वैद्य, स्मृति वन, जयपुर