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जानिए किस हार्मोन की कमी से नहीं बढ़ती बच्चों की हाइट, क्या है इलाज

locationजयपुरPublished: Sep 07, 2018 08:14:59 pm

Submitted by:

manish singh

बच्चे की लंबाई मां के गर्भ से ही बढऩी शुरू हो जाती है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार जन्म के बाद बच्चे की लंबाई करीब 50 सेमी. होनी चाहिए।

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जानिए किस हार्मोन की कमी से नहीं बढ़ती बच्चों की हाइट, क्या है इलाज

बच्चे की लंबाई मां के गर्भ से ही बढऩी शुरू हो जाती है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार जन्म के बाद बच्चे की लंबाई करीब 50 सेमी. होनी चाहिए। बच्चे की उम्र एक साल हो गई तो उसकी लंबाई 75 सेमी. होनी चाहिए। यानि एक साल के भीतर 25 सेमी. हाइट बढऩी चाहिए। कई बार 46 की जगह 45 गुणसूत्र होने से भी बच्चे का विकास नहीं हो पाता है। इसका सीधा असर उसकी लंबाइ पर पड़ता है। दो साल बाद बच्चे की लंबाइ को चाइल्डहुड ग्रोथ के तौर पर देखते हैं। दूसरे साल में बच्चे की लंबाई 82 से 83 सेमी. जबकि 3 से 4 साल की उम्र के बाद हर साल 6 से 7 सेमी. बढऩी चाहिए। बच्चों को फास्ट फूड न दें क्योंकि फास्ट फूड से भूख तो मिट जाती है पर शरीर के विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं।

बोन फ्यूज होने के बाद नहीं बढ़ती लंबाई
हाइट बढऩे का सीधा संबंध हड्डियों के विकास (स्केलप्टल ग्रोथ) से जुड़ा होता है। शरीर की हड्डियों के अंत में एफिफाइसिल ग्रोथ प्लेट होती है जो बढ़ती रहती है। बीस साल की उम्र के बाद ये प्लेट फ्यूज हो जाती है यानि ग्रोथ बंद हो जाती है। इसी के साथ लंबाई बढऩे का सिलसिला बंद हो जाता है। ऐसे में चौदह साल की उम्र तक हाइट में बड़ा अंतर दिख रहा है तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर इलाज करवाएं।

लंबाई आमतौर पर पर सोलह साल की उम्र तक तेजी से बढ़ती है। इसके बाद लंबाई बढऩे की प्रक्रिया बहुत तेजी से कम होती है। लडक़ो सोलह साल की उम्र के बाद दाढ़ी मूंछ आने के साथ लैरिंग्स गले का हिस्सा (साउंड बॉक्स) बाहर निकल जाता है। इसी तरह लड़कियों में माहवारी शुरू होने के बाद लंबाई बढऩे का प्रतिशत बहुत कम होता है। 17 से 20 साल की उम्र के बीच पांच से छह सेंटीमीटर ही लंबाई बढ़ सकती है। बीस वर्ष की उम्र सीमा पार होने के बाद लंबाई बढऩा बेहद मुश्किल होता है।

बच्चे के इन अंगों को ध्यान से देखें
बच्चे जिनकी हाइट नहीं बढ़ती है उनमें इसके साथ दूसरे लक्षण भी दिखते हैं। इसमें बच्चे के नाखून और बाल भी धीरे-धीरे बढ़ते हैं। पैरों और हाथों के साथ अंगुलियों भी छोटी दिखती हैं। इससे पता किया जा सकता है कि बच्चे की लंबाई प्रभावित हो रही है। डॉक्टरी भाषा में इसे चबी चाइल्ड कहते हैं। ऐसे बच्चे उम्र के हिसाब से छोटे नजर आते हैं और गोल मटोल दिखते हैं। बच्चे की हाइट मां-बाप की हाइट पर निर्भर करती है। माता-पिता की हाइट कम है तो बच्चे की हाइट बहुत अधिक नहीं बढ़ सकती है। अगर बच्चा माता-पिता की हाइट के बराबर भी नहीं है या उस हिसाब से नहीं बढ़ रहा है तो बिना देर किए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

ग्रोथ हॉर्मोन थैरेपी हाइट बढ़ाने में कारगर
ग्रोथ हॉर्मोन थैरेपी हाइट बढ़ाने में कारगर है। ये इंजेक्टेबल थैरेपी है जिसकी डोज वजन, स्वास्थ्य संबंधी समस्या और बॉडी रिस्पॉन्स के आधार पर तय किया जाता है। ये थैरेपी पूरी तरह सुरक्षित है और जितनी जल्दी शुरू हो उतना बेहतर रहता है। लड़कियों में माहवारी शुरू होने और लडक़ों में प्यूबेरिटी आने के बाद हाइट बढऩा थोड़ा मुश्किल होता है। माहवारी शुरू होने के बाद औसतन अधिक से अधिक 5 से 6 सेमी. जबकि लडक़ों में 6 से 7 सेमी. हाइट बढ़ सकती है।

जांचें जिनसे पता चलता क्यों नहीं बढ़ रही हाइट
हाइट नहीं बढ़ रही है तो आइजीएफ-वन, थॉयराइड और पोषक तत्त्वों से संबंधित जांचें करवाई जाती हैं। इससे भी कुछ पता नहीं चलता है तो पीयूष ग्रंथि की एमआरआई जांच करवाते हैं जिससे कई कारणों के बारे में सटीक जानकारी मिलती है। जिन बच्चों को बार-बार संक्रमण होता है। खांसी जुकाम-बुखार और दस्त की शिकायत होती है तो उसका सीधा असर उसकी हाइट पर भी पड़ता है।

पाउडर और कैप्सूल से नहीं बढ़ती है हाइट
हाइट बढ़ाने के लिए किसी भी तरह का पाउडर और कैप्सूल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जिम जाते हैं तो सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल नहीं करें। इससे कई बार लडक़ों के छाती में उभार आ जाता है। जबकि लड़कियों में कई तरह की दूसरी समस्याएं हो सकती हैं।

चार चरणों में बढ़ती है हाइट
हाइट चार चरणों में विभाजित होती है। इसमें पहला स्टेज फीटल, दूसरा इन्फैन्टाइल, तीसरा चाइल्डहुड और चौथा एडोलेसेंट एज होती है। बच्चा जब गर्भ में होता है तब उसे अलग तरह के हॉर्मोन की जरूरत होती है जिसे आईजीएफ-वन और आईजीएफ टू कहा जाता है। ऐसी अवस्था में शिशु को ग्रोथ हॉर्मोन की जरूरत नहीं होती है। गर्भ में पल रहे बच्चे को ह्यूमन प्लेसेंटा लैक्टोजन (एचपीएल) और इंसुलिन हॉर्मोन मां से मिलता है जो उसके विकास के लिए पर्याप्त होता है। इस स्टेज को फीटल स्टेज कहा जाता है। इस अवस्था में गर्भ में पल रहे भू्रण को इसुंलिन हॉर्मोन नहीं मिल रहा है तो उसकी ग्रोथ पर असर होगा। इस वजह से जब बच्चे का जन्म हो तो उसकी लंबाई सामान्य बच्चों की लंबाई से कम होगी। दूसरा है इन्फैंट स्टेज जिसमें जन्म के बाद बच्चे में ग्रोथ हॉर्मोन और थॉयराइड हॉर्मोन बनते हैं जिससे उसका शारीरिक विकास बेहतर ढंग से होता है। तीसरा फेज चाइल्डहुड फेज (बचपन) होता है जिसमें थॉयराइड और ग्रोथ हॉर्मोन के साथ न्यूट्रीशियन यानि खानपान से मिलने वाले पोषक तत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चौथा फेज होता है किशोरावस्था यानि एडोलेसेंट एज का जिसमें पुरूष और महिला में सेक्स स्टेरॉयड बनते हैं जिससे युवक या युवती की लंबाई तेजी के साथ बढ़ती है। अगर ये सेक्स स्टेरॉयड का सीके्रशन नहीं हो रहा है तो बच्चे के विकास में परेशानी आती है। बच्चे की लंबाई माता-पिता की लंबाई से मिलती जुलती ही होगी, बहुत कुछ असामान्य नहीं हो सकता है। पत्रिका टीवी के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में हाइट एंड वेट विषय पर आयोजित चर्चा में चिकित्सक की राय के मुख्य अंश।

हाइट बढ़ाने का ये है सरल इलाज
हाइट बढ़ाने का एकमात्र तरीका है अच्छे खानपान के साथ शरीर की बेहतर देखभाल। लंबाई तभी बेहतर होगी जब शरीर को सभी तरह के पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलेंगे। ऐसे में खाने में सोयाबीन, दाल, पनीर, अंडा, मांस, दूध, दही समेत हरी सब्जियों का प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए। आटा, मक्का, चावल का अधिक प्रयोग करें। बच्चे को आठ से नौ घंटे की नींद बहुत जरूरी है। बच्चा को इनडोर की जगह आउटडोर गेम खिलाएं जिससे उसके शरीर में खिंचाव आए और हाइट बढऩे की प्रक्रिया ठीक रहे।

वजन मेंटेन करना भी है बेहद जरूरी
जंक और फास्ट फूड का इस्तेमाल करने वाले लोगों का वजन तेजी से बढ़ता है। बॉडी मास इंडेक्स 95 परसेंटाइल से अधिक है तो मोटापा तेजी से बढ़ेगा। अगर ये 90 तक है तो ठीक है। इससे अधिक है तो भविष्य में हृदय रोग, मधुमेह और हाइपरटेंशन जैसी समस्या हो सकती है। जिन लोगों का वजन अधिक कम होता है उनमें इसका कारण न्यूट्रिशियन हॉर्मोन डेफिसिएंसी का होना या कॉर्टिकल हॉर्मोन के न बनने से भी ये परेशानी निकलकर सामने आती है।

डॉ. बलराम शर्मा, हार्मोन रोग विशेषज्ञ, एसएमएस अस्पताल, जयपुर

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