इस बीमारी में जलन, सूजन, जोडों को नुकसान, त्वचा, किडनी, रक्त, फेफडों व हृदय तक को नुकसान पहुंच सकता है। रूमेटोलोजिस्ट कंसल्टेंट डॉ.राहुल जैन के अनुसार सामान्य प्रक्रिया के तहत प्रतिरोधक व्यवस्था के तहत ऐसे प्रोटीन बनते हैं, जो एंटीबॉडीज कहलाते हैं। ये एंटीबॉडीज कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया से लडऩे का काम करते हैं।
लूपस से शरीर का कोई भी हिस्सा जैसे जोड़, मस्तिष्क, फेफड़े, किडनी, रक्त नलिकाएं और अन्य अंदरूनी अंग प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि रूमेटोलॉजी रिसर्च फाउंडेशन रूमेटाइड ऑर्थराइटिस और लूपस के बारे में बेहतर समझ विकसित करने के लिए विभिन्न स्तर पर काम कर रहा है।