scriptसनस्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल बना रहा कमजोर | Making excess use of sunscreen is weak | Patrika News

सनस्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल बना रहा कमजोर

locationजयपुरPublished: Aug 17, 2017 04:26:00 pm

सनस्क्रीन त्वचा की सूर्य की किरणें अवशोषित करने की क्षमता कम कर देती है जिससे हमारे शरीर की जरूरत के मुताबिक विटामिन डी नहीं बन पाता है।

सूरज की तेज रोशनी और पराबैंगनी किरणों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए हम सनस्क्रीन लोशन तो लगाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि सनस्क्रीन का नियमित और अधिक इस्तेमाल से आपकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।हाल ही कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के अनुसार नियमित और अधिक मात्रा में सनस्क्रीन लगाने पर हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है। सनस्क्रीन त्वचा की सूर्य की किरणें अवशोषित करने की क्षमता कम कर देती है जिससे हमारे शरीर की जरूरत के मुताबिक विटामिन डी नहीं बन पाता है। अमरीकन ऑस्टियोपैथिक असोसिएशन के जर्नल में भी यह स्टडी पब्लिश हुई है।
जरूरी है सूरज की किरणों का संपर्क

रिसर्च से जुड़े असिस्टेंट प्रोफेसर किम फोटेंहॉर के मुताबिक सनस्क्रीन लगाने से विटामिन डी उत्पन्न करने की हमारी त्वचा की क्षमता कम हो जाती है। हालांकि सूर्य कि किरणों के सीधा संपर्क से होने वाले नुकसान, स्किन कैंसर आदि से बचने के लिए सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी जाती है। इसके बावजूद सूरज की किरणों के संपर्क में थोड़ी देर रहना भी जरूरी माना जाता है। इससे मसल्स और हड्डियां मजबूत होती हैं। ऐसा नहीं होने पर विटामिन डी की कमी से सुस्ती, कमजोरी, मसल्स में थकावट, मूड स्विंग और डिप्रेशन जैसी शिकायतें होने लगती हैं।
थोड़ी देर के एक्सपोजर से ज्यादा लाभ

रिसर्च के मुताबिक 15 या इससे ज्यादा एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से 99 प्रतिशत विटामिन डी3 का प्रोडक्शन कम हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि सप्ताह में दो से तीन बार बिना सनस्क्रीन लगाए सूर्य की रोशनी में तेजी से वॉक किया जाए। ताकि त्वचा का अधिकतम भाग सूर्य की किरणों को अवशोषित कर सके और विटामिन डी की जरूरी मात्रा उत्पन्न कर सके।
इसलिए जरूरी है विटामिन डी

विटामिन डी महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो रक्त में कैल्शियम और फॉस्फोरस का स्तर नियमित रखने के लिए जरूरी है। साथ ही यह कैल्शियम के अवशोषण और हड्डियों के विकास व मजबूती के लिए जरूरी होता है। हालांकि सोया मिल्क, मशरूम और अंडा विटामिन डी के अच्छे स्रोत होते हैं, लेकिन सूर्य की किरणों से बेहतर नहीं। दरअसल हमारा शरीर सूर्य की पराबैंगनी किरणों का इस्तेमाल कर त्वचा में उपस्थित कॉलेस्ट्रॉल को विटामिन डी में परिवर्तित करता है। ब्रिटिश डायटेटिक्स एसोसिएशन के मुताबिक सप्ताह में तीन बार 15 मिनट तक सूरज की किरणों में संपर्क में रहकर रोजाना के लिए जरूरी विटामिन डी की उचित मात्रा ली जा सकती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो