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मालिश से बच्चों की मांसपेशियां होगी मजबूत, जानें इसके अन्य फायदे

Published: Sep 18, 2017 06:38:45 pm

वैसे तो हर मौसम में यह लाभदायक होती है लेकिन सर्दियों में इसकी जरूरत अन्य मौसम की तुलना में अधिक होती है।

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वैसे तो हर मौसम में यह लाभदायक होती है लेकिन सर्दियों में इसकी जरूरत अन्य मौसम की तुलना में अधिक होती है।

बच्चों की हड्डियों व मांसपेशियों की मजबूती और विकास के लिए मां के दूध के अलावा शरीर पर की जाने वाली तेल मालिश भी जरूरी होती है। वैसे तो हर मौसम में यह लाभदायक होती है लेकिन सर्दियों में इसकी जरूरत अन्य मौसम की तुलना में अधिक होती है। क्योंकि इस दौरान त्वचा शुष्क हो जाती है। साथ ही मांसपेशियों को लचीला बने रहने व जोड़ों की मजबूती के लिए अतिरिक्त पोषण की जरूरत होती है। जानते हैं बच्चों की तेल मालिश से जुड़े विभिन्न तथ्य-
ये तेल उपयोग
नारियल, सरसों, जैतून, तिल, बादाम, सूरजमुखी आदि के तेल बहुगुणी होते हैं। इनके अलावा कुछ लोग देसी घी और मक्खन से भी मालिश करते हैं। इनमें एंटीबायोटिक, एंटीबैक्टीरियल, विटामिन-ए व ई जैसे गुण पाए जाते हैं।
लचीला व ऊर्जावान शरीर
इससे शरीर मजबूत होने के साथ त्वचा में नमी बनी रहती है। शरीर में लचीलापन आता है व ऊर्जा मिलती है। मालिश से शरीर का विकास करने वाले जरूरी हार्मोन स्त्रावित होते हैं। इन तेलों में मौजूद एंटीबायोटिक, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और विटामिन-ए व ई जैसे गुण रोगों से बचाव करने के साथ रक्तसंचार दुरुस्त कर अंगों की जरूरत को पूरा करने में मदद करते हैं। इस दौरान मां के स्पर्श से बच्चे का भावनात्मक रूप से जुड़ाव बढ़ता है।
एक साल तक मालिश जरूरी
तेल मालिश कितनी भी उम्र तक की जा सकती है लेकिन जन्म से लेकर एक साल तक का समय शरीर के विकास व हड्डियों की मजबूती के लिहाज से अहम होता है।ध्यान रखें ठंडी हवा या खुले वातावरण के बजाय कमरे में २६-२७ सेल्सियस के तापमान यानी गर्म तापमान में मालिश करें।
ध्यान रखें
मालिश करते समय हल्के दबाव के साथ हाथों से थोड़ा अधिक प्रेशर भी दें। इसके अलावा वातावरण के अनुरूप ही मालिश करें। कुछ मांएं मालिश के बाद बच्चे के हाथ-पैरों को इस तरह बांध देती है जैसे कि वह गर्भ में होता है। उनका तर्क रहता है कि वह उस स्थिति में आराम से सो जाएगा, हड्डियां मजबूत होंगी व मांसपेशियों में लचीलापन आएगा। ऐसा करना उन मामलों में सही है जिसमें बच्चा सामान्य स्थिति में पैदा हुआ हो। लेकिन बच्चा कमजोर या जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुआ हो तो इससे दिक्कत बढ़ सकती है।
धूप से मिलती विटामिन-डी की खुराक
सर्दियों में धूप में लिटाकर बच्चे की मालिश करने से उसे विटामिन-डी व अन्य जरूरी पोषण भी मिलता है। इससे बच्चा हष्ट-पुष्ट रहता है। यदि धूप हल्की हो व हवा भी चल रही हो तो खुले में मालिश न करें। बच्चा लगातार रोए, चिड़चिड़ाए या किसी रोग से पीडि़त हो तो मालिश न करें। मालिश के दौरान यदि हर बार त्वचा पर लाल दाने उभरें तो डॉक्टरी सलाह जरूर लें। हो सकता है बच्चे को विशेष तेल से एलर्जी हो या किसी अंदरुनी चोट के कारण वह रो रहा हो।
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