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जब दर्द हो बार-बार तो मिलें पेन फिजिशियन से

locationजयपुरPublished: Sep 21, 2018 09:07:48 pm

Submitted by:

Ramesh Singh

लंबे समय तक व गलत मुद्रा में बैठने की वजह से शरीर के ऊपरी हिस्से के अंगों में दर्द की समस्या होती है। अनियमित जीवनशैली और खानपान के कारण दर्द होता है।

pain management

जब दर्द हो बार-बार तो मिलें पेन फिजिशियन से

जयपुर. व्यस्त दिनचर्या के कारण लोग थकान व दर्द से परेशान हैं। इस कारण ऑफिस, घर और दैनिक क्रियाकलाप प्रभावित होता है। इसके लिए अक्सर पेन किलर टैबलेट, पेन रिलीफ क्रीम आदि का प्रयोग करते हैं। रीढ़ की हड्डी में पेसमेकर जैसा यंत्र लगाकर दर्द दूर करते हैं। स्पाइनल कॉर्ड के इलाज में भी इसका प्रयोग करते हैं। इसके लिए चिकित्सकीय परामर्श लें। दर्द की जांच और इलाज के कुछ दिनों के बाद भी यदि कुछ दिनों बाद वापस दिक्कत होती है या लंबे समय से दर्द बना रहता है तो पेन फिजीशियन के पास जाते हैं।
दर्द क्यों होता : दर्द शरीर का सबसे महत्वपूर्ण संवेदन है। यह नर्व सिस्टम से जुड़ा होता है। हड्डियों, जोड़ों, स्किन, मांसपेशियों में दर्द के संवेदन के लिए फाइबर्स होते हैं। चोट लगने या पुरानी चोट की वजह से दर्द होता है।
दर्द चार प्रमुख कारणों से होता है-
बैक पेन स्पाइन से संबंधित, गर्दन, कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है। शरीर के हिस्सों में छूने से दर्द होता है। इसमें सिरदर्द, माइग्रेन और चेहरे के हिस्सों को छूने से भी दर्द होता है। कई बार सर्द हवा के कारण भी होता है। हाथ-पैरों में जकडऩ रहती है। कैंसर की वजह से भी दर्द होता है। दवा के बाद भी आराम नहीं मिलता है। कैंसर के 70-80 प्रतिशत मरीजों को कैंसर की वजह से ही दर्द होता है। सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम की वजह से कोई अंग नीला, लाल पड़ता है। छूने अथवा हवा से भी दर्द होता है।
जांचों से पता करते दर्द की जड़

एक्यूट पेन के लक्षण के आधार पर संबंधित डॉक्टर के पास जाते हैं। यदि कुछ समय बाद वापस दर्द होता है तो पेन फिजीशियन के पास जाएं। वो सीटी स्कैन, एमआरआई, सोनोग्राफी और सियाम (विशेष प्रकार की एक्सरे जांच) जांच करते हैं।
दो तरह का होता दर्द
एक्यूट पेन : चोट लगने व बीमारी से होने वाले दर्द को कहते हैं। यह कुछ समय बाद स्वत: या इलाज से ठीक हो जाता है। एक्यूट पेन क्रोनिक पेन में बदल सकता है।
क्रोनिक पेन : यह किसी पुरानी चोट के कारण होता है। इलाज के बाद दर्द शुरू होता है। कई बार चोट लगने के कारण लंबे समय तक दर्द बंद नहीं होता है।
दो तरह से करते इलाज
मरीज का इलाज डायग्रोस्टिक और थैरेपेस्टिक होता है। मरीजों को भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती है। ओपीडी के आधार पर इलाज किया जाता है। इसमें आधे घंटे से एक घंटे का समय लगता है। इलाज के दौरान एनेस्थीसिया देते हैं। इसमें सर्जिकल रिस्क नहीं होता है। लेजर, इलेक्ट्रोमैग्रेटिक थैरेपी से इलाज होता है।
गर्भावस्था में दर्द की शिकायत
गर्भावस्था में महिलाओं का वजन 10 से 12 किग्रा तक बढ़ता है। महिलाओं को गर्दन व कमर दर्द बढ़ जाता है। आराम न मिलने पर पेन फिजीशियन की परामर्श लें।
– डॉ. गौरव शर्र्मा,
एसोसिएट प्रोफेसर, जयपुरिया हॉस्पिटल, जयपुर
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