पहली तिमाही के दौरान, आपका शिशु बहुत नाजुक स्थिति में होता है। बेहतर होगा कि इस दौरान उपवास न किया जाए। इसी तरह तीसरी तिमाही में उपवास करना भी असुरक्षित रह सकता है। किसी भी परिस्थिति में अगर आपको लगता है कि आप उपवास नहीं कर सकती हैं, तो उपवास न करें। उपवास करने से पहले शारीरिक स्वास्थ्य के संबंध में उचित मेडिकल जांच जरूरी है। अन्य जटिलताओं जैसे गेस्टेशनल डाइबिटीज, एनीमिया या मल्टीपल प्रेगनेंसी की भी जांच कराई जानी चाहिए।
नर्चर आईवीएफ सेंटर में गायनेकोलॉजिस्ट ऑब्स्टेट्रिशियन और आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. अर्चना धवन बजाज ने कहा, “यह भी देखना जरूरी है कि यदि आप लंबे समय से व्रत कर रही हैं तो सिरदर्द, थकान, बेहोशी, चक्कर और बहुत ज्यादा एसिडिटी तो नहीं हो रही। यदि आपको लगता है कि शिशु की मूवमेंट कम हो गई है या आपको लेबर जैसे दर्द महसूस होता है, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। यह समय पूर्व प्रसव के संकेत हो सकते हैं।”
यदि आप गर्भावस्था के दौरान भी उपवास कर रही हैं, तो चाय और कॉफी लेने से बचें। खूब पानी पिएं और पानी या जूस नियमित अंतराल पर लेते रहें। नारियल पानी पोषक तत्वों का बेहतरीन स्रोत हैं।
डॉ. अर्चना ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को ताजा फलों का सेवन करना चाहिए। यदि मौसम गरम और तेज धूप वाला है, तो घर के अंदर रहें और पूरा दिन आराम करें। लंबी दूरी तक पैदल चलने से बचें। शांत रहे और किसी भी तरह के तनाव को न लें। गर्भावस्था में व्रत करने से स्ट्रेस लेवल बढऩे की आशंका रहती है। इससे बचने के लिए वैकल्पिक आहार लेते रहें। नवरात्रि त्योहार के पहले और आखिरी दिन व्रत करना भी एक विकल्प है। गर्भावस्था के दौरान कोई भी व्रत करने से पहले डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।