एम्स निदेशक डॉ. एमसी मिश्र ने कहा कि योग के सार्थक प्रभावों व सफल नतीजों की लंबी फेहरिश्त तो है, लेकिन इस पर अभी तक साक्ष्य आधारित नतीजों की वैज्ञानिक पड़ताल नहीं की गई। यह पहला मौका है जब पीएम की पहल पर देश ही नहीं पूरी दुनिया में योग के वैज्ञानिक पहलुओं पर नजर डाली जा रही है।
करीब तीन वर्ष पहले हरिद्वार में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एम्स में योग सेंटर खोलने की घोषणा की थी।योगपीठ में पतंजलि जड़ी बूटी उद्यान और संग्रहालय का शिलान्यास भी किया था।
हालांकि डॉ. हर्षवर्धन ने सबसे पहले रिसर्च सेंटर ऋषिकेश स्थित एम्स में शुरू करने की घोषणा की, लेकिन फिलहाल दिल्ली एम्स में इसे सबसे पहले खोला जा रहा है।
योग पर होंगी रिसर्च -:एम्स योग सेंटर के संयोजक व हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. गौतम शर्मा ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में केवल बीमारी का इलाज होता है, जबकि योग व पारंपरिक इलाज पद्धति में बीमारी के उपचार के साथ ही बचाव की दिशा में भी काम होता है। केंद्र में इस पर भी शोध किया जाएगा।
अब रंग लाई मेहनत -: एम्स कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ. चंद्रकांत पांडव ने कहा कि उन्होंने योग की पढ़ाई को नेशनल रिफॉम्र्स मेडिकल करिक्युलम में शामिल करने का प्रस्ताव साल 2005 में ही दिया था, लेकिन अब तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
अब मोदी सरकार ने इस दिशा में पहल की है। सरकार की ओर से दूरगामी नतीजों के लिहाज से देश के छह केंद्रीय विश्वविद्यालयों में योग पर पढ़ाई शुरू की जाएगी, जिसमें डिप्लोमा, डिग्री, सर्टिफिकेट व अन्य पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।