स्वास्थ्य

बुजुर्गों में उम्र से जुड़े परिवर्तनों को समझते हुए करें व्यवहार

जिंदगी का अहम हिस्सा होते हैं हमारे बुजुर्ग। इनकी सेहत का ख्याल रखना हमारी जिम्मदारी होती है। हर वर्ष इनके सेहतमंद रहने को ध्यान में रखते हुए अक्टूबर की शुरुआत में इंटरनेशनल डे ऑफ ओल्डर पर्सन्स मनाया जाता है। रोगों से बचाव के लिए नियमित जांच और बीच-बीच डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

Oct 04, 2019 / 03:14 pm

Divya Sharma

बुजुर्गों में उम्र से जुड़े परिवर्तनों को समझते हुए करें व्यवहार

3-4 बार दिनभर में आंखों को बंद कर रिलेक्स हों।
3-5 बार हफ्ते में 20 मिनट की हल्की-फुल्की स्ट्रेंथ एक्सरसाइज फिट रखती है।
250 ग्राम दुग्ध उत्पाद (दही, छाछ, पनीर) अनिवार्य रूप से रोज लें।
10-15 मिनट सूरज की सीधी किरणों के संपर्क में रोज बैठें।
अन्य उम्र की तुलना में उम्रदराज लोगों के लिए यह उम्र (60 पार) काफी चुनौतीपूर्ण होती है। इनके स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष इंटरनेशनल डे ऑफ ओल्डर पर्सन्स मनाया जाता है। इस वर्ष इस दिन की थीम ‘दी जर्नी टू एज इक्वेलिटी रखी गई थी ।
सेवानिवृत्ति एक पड़ाव
कॅरियर में व्यस्त होने के दौरान व्यक्ति एक नियमित व तय दिनचर्या का पालन करता है लेकिन सेवानिवृत्त होते ही इनमें परिवर्तन आ जाता है। अक्सर बुजुर्ग इस परिवर्तन का सही तरह से मैनेज नहीं कर पाते और अलग-थलग महसूस करते हैं। ऐसे में वे खुद को पढऩे, लिखने या रुचिवाले कामों में व्यस्त रख सकते हैं।
शरीर पर उम्र का असर
अधिक उम्र का असर रोग प्रतिरक्षी प्रणाली पर होने से रोगों की आशंकाएं बढ़ती है। विभिन्न प्रकार के संक्रमण हावी होने लगते हैं व घावों को भरने में समय लगता है। ढलती उम्र दिमाग की ताकत को कमजोर करने लगती है जिससे विभिन्न अंगों तक उनके कार्य करने के सिग्नल धीरे पहुंचते हैं। ऐसे में विभिन्न अंगों से जुड़ी समस्याएं सामने आने लगती है। विशेषकर डायबिटीज, थायरॉइड, हाई व लो बीपी, हृदय रोग और कमजोर हड्डियां व मांसपेशियां शामिल हैं।
परिवर्तन को समझें परिजन
परिजनों को बुजुर्गों में उम्र के साथ होने वाले शारीरिक-मानसिक बदलाव को समझना चाहिए। अधिक उम्र के ज्यादातर मामलों में व्यक्ति मन से तो दुरुस्त होता है लेकिन तन जब उनका साथ नहीं देता तो उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन, गुस्सा, जिद्द देखने को मिलते हैं। इन बदलावों के कारण को समझते हुए परिजनों को तालमेल बैठाना चाहिए।
ये समस्याएं आम
60 पार व्यक्तियों में नींद के पैटर्न में बदलाव, एकाकीपन, देखने व सुनने की क्षमता में कमी, पेट खराब आदि समस्याएं हो जाती हैं। इनके लिए नियमित चेकअप, मेडिटेशन व योग फायदेमंद हैं।
वर्कआउट जरूरी
यदि दिनचर्या में हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या व्यायाम शामिल नहीं करेंगे तो मोटापे, हृदय रोगों व डायबिटीज की आशंका बढ़ती है। नियमित व्यायाम से शरीर में ताकत आएगी।
रोग प्रतिरोधक क्षमता
संवेदनशील होने के कारण मौसमी बदलाव से होने वाली बीमारियों और संक्रमण से छोटे बच्चों के बाद बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। मुख्य कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना है। 60 और इससे अधिक उम्र के लोग निमोनिया, हर्पीज जैसे इंफेक्शन और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीन चिकित्सक की सलाह से लगवा सकते हैं। खानपान में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली पौष्टिक और सुपाच्य चीजें लें।
एक्सपर्ट : डॉ. अरविंद माथुर, पूर्व प्रधानाचार्य व जेरिएट्रिक फिजिशियन, एसएन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर
एक्सपर्ट : डॉ.लक्ष्मीकांत गोयल, असि. प्रो. जेरिएट्रिक मेडिसिन, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर

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