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पैंक्रियाज कैंसर में दिखता है पीलिया जैसा लक्षण

locationजयपुरPublished: Oct 28, 2018 06:18:36 pm

Submitted by:

manish singh

गोवा के मुख्यतंत्री मनोहर पर्रिकर को पैंक्रियाज कैंसर की तकलीफ है। इसका खुलासा वहां के स्वास्थ्य मंत्री ने किया है। तो आइए जानते हैं पैंक्रियाज कैंसर क्या है और इसका इलाज कैसे संभव है।

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पैंक्रियाज कैंसर में दिखता है पीलिया जैसा लक्षण

गोवा के मुख्यतंत्री मनोहर पर्रिकर को पैंक्रियाज कैंसर की तकलीफ है। इसका खुलासा वहां के स्वास्थ्य मंत्री ने किया है। तो आइए जानते हैं पैंक्रियाज कैंसर क्या है और इसका इलाज कैसे संभव है। पैंक्रियाज शरीर का महत्वपूर्ण ग्रंथि हैं जो लिवर और अमाशय के नीचे होती है। इसका काम ब्लड शुगर और डाइजेस्टिव इंजाइम्स को नियंत्रित करना है। ये ग्लैंड जब बेहतर काम करेगी तो ब्लड शुगर ठीक रहने के साथ पाचन का काम बेहतर ढंग से होगा।

पैंक्रियाज कैंसर एक खतरनाक बीमारी और जानलेवा बीमारी है जो सभी तरह के कैंसर में एक फीसदी से भी कम होती है। ये बीमारी साइलेंट किलर होती है जो शुरूआत में कुछ गंभीर लक्षण नहीं देती है। पाचनतंत्र में परेशानी को व्यक्ति सामान्य समस्या समस्या समझ नजरअंदाज करता है और बीमारी फैलती रहती है। सेकंड स्टेज में बीमारी का पता चलता है। ऐसी स्थिति में पेंक्रियाज अपनी जगह छोड़ देता है और शरीर को दूसरे अंगों को दबाने लगता है। लिवर से जो बाइल्स निकलती है वे पैंक्रियाज कैंसर के बढऩे पर ब्लड में जाने लगेगा जिसके बाद रोगी को ज्वाइंडिस (पीलिया) की तकलीफ होती है। यही कारण है कि पैंक्रियाज कैंसर में मौत का अधिकतर कारण लिवर का फेल होना होता है।

बढ़ती उम्र की बीमारी हैं पैंक्रियाज कैंसर

पैंक्रियाज कैंसर ओल्ड एज (बढ़ती हुई) उम्र की बीमारी है। ये आनुवांशिक समस्या भी है जो मां-बाप, भाई-बहन (ब्लड रिलेशन्स) से एक दूसरे को होती है। पैंक्रियाज कैंसर होने पर इंसुलिन बनने का काम बुरी तरह प्रभावित होगा। इंसुलिन कम बनेगी तो रोगी हाइपो ग्लाइसोमा में जा सकता है। शुगर लेवल को बढ़ाने या घटाने की सेल्स पैंक्रियाज में ही होती हैं। कैंसर कोशिकाओं के बढऩे या फैलने से काम प्रभावित होने लगता है। इसके अलावा लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर, शराब, सिगरेट पीने, तंबाकू, पान-मसाला के इस्तेमाल बीमारी बढ़ सकती है। डायबीटिज और पैंक्रियाज के इंफेक्शन जिसे पैन्क्रियाटाइटिस कहते हैं इस वजह से भी बीमारी हो सकती है। कैंसर बहुत अधिक फैल गया है तो ऑपरेशन से भी रोगी की उम्र को नहीं बढ़ाया जा सकता है।

इन लक्षणों को कभी हल्के में न लें

पेंक्रियाज कैंसर के लक्षण बहुत सामान्य होते हैं जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जी-घबराना, उल्टी होना, पीलिया, अपच की समस्या, अचानक से वजन कम होने लगना, भूख कम लगना, नाक से पानी आना, उल्टी होना, शरीर में ग्लूकोज लेवल कम या अधिक होने से चक्कर या थकाना आना। कुछ गंभीर मामलों में दिमाग में ग्लूकोज की पर्याप्त मात्रा न पहुंचने पर व्यक्ति बेहोश होने के साथ कोमा में भी जा सकता है।

इन जांचों से पता करते हैं तकलीफ

पेट की सोनोग्राफी जांच से गांठ का पता करते हैं। कंट्रास्ट सीटी स्कैन, ईआरसीपी, पेट सीटी स्कैन जांच से बीमारी का विस्तार से पता करते हैं। पेट सीटी से बीमारी शरीर के दूसरे हिस्से जैसे फेफड़े, ब्रेन, ब्लड और किडनी में फैली है तो उसकी पूरी स्थिति पता चल जाती है। सीटी स्कैन से एफएनएसी (फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी) जिसमें पैंक्रियाज से टिशु लेकर उसकी जांच करते हैं। इसी तरह सोनो वाइडल एफएनएसी और लेप्रोस्कोपिक बायोप्सी जांच से बीमारी की गंभीरता पता करते हैं।

ऐसे संभव जानलेवा बीमारी से बचाव

पेंक्रियाज कैंसर से बचाव के लिए लाइफ स्टाइल का बेहतर होना जरूरी है। इसमें खानपान के साथ नियमित एक्सरसाइज का होना जरूरी है। खानपान में फल, हरी सब्जी के साथ दाल, सूप आदि का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करना चाहिए। डायबिटीज के रोगियों को अपना खयाल रखना चाहिए और नियमित जांच कराते रहना चाहिए। रेड मीट खाने से परहेज करना चाहिए। इसमें फैट अच्छी क्वालिटी का नहीं होता है। इसकी जगह मछली और अंडा अधिक फायदेमंद रहेगा।

रोग के स्तर के आधार पर तय होता इलाज

पेंक्रियाज कैंसर बहुत घातक होता है। ऐसे में इसका इलाज बीमारी की गंभीरता और उसके फैलाव पर तय होता है। सबसे पहले सर्जरी के बाद रेडियोथैरेपी, कीमोथैरेपी, टारगेटेड इम्यूनोथैरेपी, कॉनफॉर्मल रेडियो थैरेपी जिसमें रेडिएशन ट्यूमर के आकार के आधार पर देते हैं। इन बातों का पूरा ध्यान रखा जाता है कि रेडिएशन से किडनी, लिवर, स्मॉल इंटेस्टाइन और रीढ़ की हड्डी को कोई नुकसान न हो। इमेज गाइडेड रेडिएशन थैरेपी भी इलाज का तरीका है। इसमें ऑपरेशन के दौरान ही हाई डोज की रेडिएशन देते हैं जिसे इंट्रा ऑपरेटिव रेडिएशन थैरेपी कहते हैं।

पेंक्रियाज ट्यूमर चार सेमी. से छोटा तभी ऑपरेशन

पेंक्रियाज के ट्यूमर का आकार चार सेमी. से छोटा है और बड़ी वेसल्स से दूर है तो ऑपरेशन से निकाला जा सकता है। जिन रोगियों में कैंसर काफी फैल चुका है उनमें कीमोथैरेपी से बीमारी को कम कर के ऑपरेशन करते हैं। सर्जरी में पेंक्रियाज के एक हिस्से से ड्यूडनम, पित्त की नली के एक हिस्से को काटकर दूसरे हिस्से से जोड़ते हैं। इससे पहले मार्जिन एसेसमेंट टैस्ट भी करते हैं। ये एसेसमेंट निगेटिव होता है तभी ऑपरेशन प्लान करते हैं। रोगी को एडमिट कर तीन दिन तक रेसपिरेटरी मेडिसिन देते हैं। शरीर में प्रोटीन का स्तर संतुलित रखते हैं। प्रोटीन का बैलेंस नहीं होगा तो ऑपरेशन फेल होने की संभावना रहती है।

डॉ. डीपी सिंह, कैंसर रोग विशेषज्ञ
डॉ. दिनेश यादव, ऑन्को सर्जन

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