कुछ समय बाद बच्चे जंक फूड की डिमांड कम करने लगे और घर के खानों में ही अपनी पसंद की चीज की मांग करने लगे। बच्चों की सोच में यह बदलाव इस बात के संकेतक हैं कि बच्चों की बेवजह की पसंद में थोड़ी सी रोका-टोकी लाभकारी होती है। उनका कहना है कि अभिभावकों की व्यक्तिगत भागीदारी बच्चे की जीवशैली का हिस्सा होनी चाहिए।