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तनाव से मुक्ति के लिए श्रेष्ठ उपाय है प्राणायाम, जानेंं इसके बारे में

Published: Oct 13, 2017 10:56:53 pm

प्राणायाम के अभ्यास के दौरान दिमाग में शुद्ध ऑक्सीजन का संचार होता है जिससे दिमाग के ऊतकों को ताजगी और पोषण मिलता है।

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प्राणायाम के अभ्यास के दौरान दिमाग में शुद्ध ऑक्सीजन का संचार होता है जिससे दिमाग के ऊतकों को ताजगी और पोषण मिलता है।

प्राणायाम के अभ्यास के दौरान दिमाग में शुद्ध ऑक्सीजन का संचार होता है जिससे दिमाग के ऊतकों को ताजगी और पोषण मिलता है।

तीन प्रमुख क्रियाएं
पूरक
नियंत्रित गति से सांस भीतर लेने की क्रिया पूरक कहलाती है। सांस भीतर खींचते वक्त लय और समय के बीच उचित अनुपात होना चाहिए।
कुंभक
भीतर ली हुई सांस को फेफड़ों में रोके रखने की प्रक्रिया को आंतरिक कुंभक और सांस बाहर छोड़कर कुछ देर बाहर ही रोकने को बाहरी कुंभक कहते हैं।
रेचक
भीतर ली हुई सांस को नियंत्रित गति से बाहर छोडऩे की क्रिया रेचक है। सांस धीरे या तेज गति से छोड़ते समय सही लय और अनुपात का होना आवश्यक है।
हृदय, फेफड़े व मधुमेह में लाभदायक
भस्त्रिका : सुखासन, पद्मासन, वज्रासन में से किसी भी एक में बैठकर नाक से लम्बी सांस लेंं और छोड़ें। इस दौरान दबाव एक समान हो। सांस भीतर लेते समय पूरी सांस लें।
लाभ : हृदय व फेफड़े मजबूत होते हैं और ऊर्जा मिलने के साथ खांसी में आराम होता है।
कपालभाति : किसी भी अवस्था में बैठें। सांस बाहर छोड़ते समय पेट को अंदर की तरफ खीचें। इसमें केवल सांस को छोड़ते रहना है। जोर लगाकर श्वास न लें।
लाभ : इससे गैस, कब्ज , मधुमेह, मोटापा और मौसमी रोग दूर होते हैं।
शीतली : सुखासन में बैठें। जीभ को किनारों से मोड़ नौकाकार बनाएं सांस लेते हुए जितना हो सके हवा अंदर खींचे। मुंह बंद करें। थोड़ी देर बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।

सेहत जगत में हो रहे बदलावों को देखते हुए योग विशेषज्ञ भी योग की क्रियाओं व अभ्यास में नए तरीकों को जोडऩे का प्रयास कर रहे हैं। इसका एक उदाहरण चेयर सूर्यनमस्कार है।

कमर और पैर में दर्द हो तो ये करें
आमतौर पर होने वाले सूर्यनमस्कार में खड़े होकर १२ अलग-अलग मुद्राएं बनाई जाती हैं जिससे शरीर खासकर कमर में लचीलापन आता है। लेकिन जिन्हेंं कमर व पैरों में दर्द रहता है उनके लिए चेयर सूर्यनमस्कार फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए व्यक्ति को एक आरामदायक और बिना हत्थे वाली कुर्सी पर बैठकर सूर्यनमस्कार करना होता है। किसी भी उम्र का व्यक्ति इसे कर सकता है।
ऐसे करें अभ्यास
बिना हत्थे वाली ऐसी कुर्सी जिसपर बैठकर पैरों के तलवे आसानी से जमीन पर टिक जाएं, इस पर कमर टिकाकर बैठें। इसके बाद १२ मुद्राओं के तहत पहले नमस्कार की स्थिति में हाथों को आपस में मिलाएं। फिर हाथों को क्षमतानुसार सिर के ऊपर पीछे की ओर ले जाएं। हाथों को नीचे लाकर जांघों पर रखें। पहले बाएं पैर को तीन सेकंड के लिए सामने की ओर सीधा करने के बाद जमीन पर टिकाएं फिर दाएं पैर से भी इसे दोहराएं। कमर झुकाकर दोनों हथेलियों को जमीन पर लगाएं। पहले बाएं हाथ को आसमान की ओर सीधे ऊपर ले जाएं और नीचे लाएं। ऐसा दाएं हाथ से भी करें। सांस भरते हुए कमर सीधी करें और दोनों हाथों को नमस्ते की मुद्रा में लाते हुए सिर के ऊपर पीछे की ओर ले जाएं। प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
सावधानी: इसे जल्दबाजी और झटके से न करें।

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