ब्राजील के साओ पाउलो विश्वविद्यालय में शोधकर्ता और प्रमुख शोध लेखक लीडियान फ्लोरेंसियो ने कहा, ”माइग्रेन बहुसंख्यक कारणों के साथ एक स्नायविक रोग है, जबकि टीएमडी, गर्दन का दर्द और मस्तिष्क कोशिका संबंधी अन्य विकार ऐसे कारकों की एक श्रृंखला है, जो माइग्रेन से ग्रस्त मरीजों की संवेदनशीलता और रोग की आवृत्ति को बढ़ाता है।
पिछले अध्ययन ये दर्शाते हैं कि माइग्रेन किस तरह चबाने में मददगार मांसपेशियों में दर्द से जुड़ा होता है। टेम्पोरोमैंडिबुलर जोड़ जबड़े को खोपड़ी की हड्डी से जोड़ते हुए कब्जे के समान कार्य करता है, इसलिए चबाने और जोड़ों के तनाव में कठिनाई विकार के लक्षण में शामिल हैं। फ्लोरेंसियो ने कहा कि केंद्रीय संवेदीकरण से माइग्रेन के हमलों की आवृत्ति और टीएमडी की गंभीरता के बीच के संबंध की व्याख्या हो सकती है। उन्होंने कहा, ”माइग्रेन के हमलों की पुनरावृत्ति दर्द की संवेदनशीलता को बढ़ा सकती है। यह शोध ‘जर्नल ऑफ मैनिपुलेटिव एंड फिजियोलॉजिकल थेरेप्यूटिक्स में प्रकाशित हुआ है।
अध्ययन के लिए टीम ने 30 साल के आसपास उम्र की महिलाओं पर गौर किया, जिनका किसी तरह का कोई पुराना माइग्रेन या एपिसोडिक माइग्रेन या माइग्रेन का इतिहास नहीं था। जिन्हें माइग्रेन की शिकायत नहीं थी, उनमें 54 प्रतिशत टीएमडी के लक्षण पाए गए, जबकि प्रासंगिक माइग्रेन के साथ 80 प्रतिशत और पुराने माइग्रेन वाली महिलाओं में इसके 100 प्रतिशत लक्षण पाए गए। शोधकर्ताओं ने कहा है कि माइग्रेन से पीडि़त लोगों में टीएमडी होने की प्रबल संभावना रहती है, जबकि टीएमडी ग्रस्त लोगों में जरूरी नहीं कि उन्हें माइग्रेन हो।