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थकावट के साथ जकडऩ, इस खतरनाक बीमारी का है संकेत

Published: Jul 07, 2016 10:45:00 pm

Submitted by:

Ambuj Shukla

रुमेटोलॉजी की मुख्य बीमारियां हैं- रुमेटॉइड आर्थराइटिस, जुवेनाइल रुमेटॉइड आर्थराइटिस, सिस्टेमिक ल्यूपस इरिथोमेटोसिस, सीरोनेगेटिव स्पोंडिलोआर्थोपेथीज, ऑस्टियो आर्थराइटिस, गाउट, स्क्लेरोडर्मा, ऑस्टियोपोरोसिस, किसी भी प्रकार का कमरदर्द, पॉलिमायोसाइटिस और डर्मेटोमाइसाइटिस आदि।

fatigue and disease 4

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रुमेटोलॉजी क्या है? यह मेडिसिन की एक शाखा है जो रुमेटिक बीमारियों के बारे में अवगत कराती है यानी जोड़ से संबंधित बीमारियां। मुख्यतौर पर इसे गठिया या आर्थराइटिस क हते है। रुमेटोलॉजी की मुख्य बीमारियां कौनसी हैं? रुमेटोलॉजी की मुख्य बीमारियां हैं- रुमेटॉइड आर्थराइटिस, जुवेनाइल रुमेटॉइड आर्थराइटिस, सिस्टेमिक ल्यूपस इरिथोमेटोसिस, सीरोनेगेटिव स्पोंडिलोआर्थोपेथीज, ऑस्टियो आर्थराइटिस, गाउट, स्क्लेरोडर्मा, ऑस्टियोपोरोसिस, किसी भी प्रकार का कमरदर्द, पॉलिमायोसाइटिस और डर्मेटोमाइसाइटिस आदि। रुमेटॉइड आर्थराइटिस क्या है? 
रुमेटॉइड आर्थराइटिस एक ऑटो-इम्यून बीमारी है। जोड़ों में दर्द व सूजन इसका लक्षण है। सुबह उठते ही अंगुलियां मुड़ जाती हंै। बहुत कमजोरी, थकावट व बुखार होने के साथ जोड़ों में दर्द होता है। साथ ही शरीर में जकडऩ की समस्या हो तो रुमेटॉइड आर्थराइटिस हो सकता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। अगर यह सोलह वर्ष से कम उम्र में हो तो इसे जुवेनाइल रुमेटॉइड आर्थराइटिस कहते हंै। दुनिया की करीब एक प्रतिशत आबादी इस बीमारी से पीडि़त है। 
इसका कारण क्या है? अब तक रुमेटॉइड आर्थराइटिस के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है। कुछ वायरस, बैक्टीरिया भी इसका कारण हो सकते हैं। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार ये अनुवांशिक बीमारी है। यह केवल जोड़ों की बीमारी नहीं बल्कि यह शरीर के कई अंगों को भी प्रभावित करती है। धूम्रपान करने वालों में रुमेटॉइड आर्थराइटिस की समस्या ज्यादा होती है।
 इसका उपचार क्या है? रुमेटॉइड आर्थराइटिस लाइलाज बीमारी नहीं है। इसे जल्द डाइग्नोसिस कर डिजीज मॉडिफाइंग एंटीरुमेटिक ड्रग्स (डीमारड्स) थैरेपी द्वारा उपचार शुरू किया जाए तो रोग को गंभीर होने से रोका जा सकता है। इसमें एंटीरुमेटिक ड्रग्स देते हैं। जोड़ों को टेढ़ा होने से रोकने व शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव का इलाज करना इसका उद्देश्य है। रोगी को लंबे समय तक दवाई लेनी पड़ती है। 

– डॉ. लियाकत अली गौरी सीनियर फिजिशियन एवं रुमेटोलॉजिस्ट, पीबीएम अस्पताल, बीकानेर
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