scriptगुर्दे के उपचार में आयुर्वेदिक फार्मूला कारगर, शोध पत्र में किया गया दावा | research: Ayurvedic Treatment for Kidney Failure | Patrika News

गुर्दे के उपचार में आयुर्वेदिक फार्मूला कारगर, शोध पत्र में किया गया दावा

locationमुजफ्फरनगरPublished: Apr 12, 2017 09:21:00 am

Submitted by:

santosh

पुनर्नवा, कमल के फूल और पत्थरचूरा जैसी आयुर्वेदिक औषधियों से बनी आयुर्वेदिक दवा नीरी केफटी उन गुर्दा रोगियों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है जो डायलिसिस पर हैं।

आयुर्वेद के एक देशी फार्मूले को गुर्दे के उपचार में फायदेमंद पाया गया है। पुनर्नवा, कमल के फूल और पत्थरचूरा जैसी आयुर्वेदिक औषधियों से बनी आयुर्वेदिक दवा नीरी केफटी उन गुर्दा रोगियों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है जो डायलिसिस पर हैं या जिनका, प्रोटीन, यूरिया या क्रिएटिनिन स्तर बढ़ा हुआ है। इंडो अमेरिकन जर्नल ऑफ फार्मास्टुटिकल रिसर्च में प्रकाशित एक शोध पत्र में यह दावा किया गया है।
जर्नल ने सीटी इंस्टीट्यूटऑफ फार्मास्युटिक साइंसेज पंजाब द्वारा किए गए शोध को प्रकाशित किया है। इंस्टीट्यूट के तत्कालीन निदेशक प्रोफेसर अनिल शर्मा के नेतृत्व में डा. अमितबरवाल की टीम ने चूहों के पांच समूहों पर इस दवा का परीक्षण किया दरअसल, इन चूहों को पहले वे भारी तत्व इंजेक्ट किए गए जो गुर्दो के फंक्शन को बिगाड़ते हैं और फिर अलग मात्रा और डोज में इन्हें नीरी केफटी की खुराक दी गई। एक समूह को दवा नहीं दी गई। 
नतीजे बताते हैं कि जिन समूहों को नियमित रूप से दवा दी जा रही थी, उन चूहों के गुर्दो का फंक्शन सबसे बेहतरीन पाया गया। उनमें भारी तत्वों, मैटाबोलिक बाई प्रोडक्ट जैसे क्रिएटिनिन, यूरिया, प्रोटीन आदि की मात्रा नियंत्रित पाई गई। जबकि जिस समूह को दवा नहीं दी गई, उन चूहों में इन तत्वों का प्रतिशत ऊंचा था। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर केएन द्विवेदी ने कहा कि नीरी केफटी गुर्दे में भारी तत्वों एवं मेटाबोलिक पदार्थो की मात्रा को नियंत्रित करता है। इसके जरिए गुर्दे को एंटी आक्सीडेंट तत्वों की भी प्राप्ति होती है। 
यह गुर्दे के जैव रासायनिक पैरामीटर को भी नियंत्रित रखता है। डॉ. द्विवेदी के अनुसार नीरी केफटी गुर्देके मरीजों में डायलिसिस का विकल्प हो सकता है। द्विवेदी के अनुसार जो औषधीय पादप जैसे कमल के फूल, गोखरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद, पुनर्नवा आदि इस फामूले में डाले गए हैं, वह प्राचीन काल में गुर्दे का अचूक उपचार थे। इस दवा की निर्माता कंपनी एमिल के चैयरमैन केके शर्मा ने कहा कि एक दशक के शोध के बाद इस फार्मूले को तैयार किया है। जो आयुर्वेद में अब तक की सर्वाधिक प्रभावी दवा साबित हुई। एलोपैथी के डॉक्टर भी इस दवा को मरीजों को लिख रहे है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो