बता दें कि साइलेंट हार्ट अटैक आने से पहले भी कुछ संकेत शरीर देने ल्रगता है, बस इसे सामान्य समझने की भूल न करें। तो चलिए जानें कि साइलेंट अटैक के लक्षण या संकेत क्या हैं।
साइलेंट अटैक होता है ज्यादा जानलेवा
साइलेंट अटैक से ग्रस्त व्यक्ति के दोबारा अटैक आने पर बचने की चांसेज कम होते हैं। वहीं, कई बार साइलेंट अटैक ही जानलेवा साबित हो जाता है। कई बार ये नींद में आ जाता है, लेकिन इसके आने के संकेत शरीर पहले से देने लगता है।
साइलेंट अटैक से ग्रस्त व्यक्ति के दोबारा अटैक आने पर बचने की चांसेज कम होते हैं। वहीं, कई बार साइलेंट अटैक ही जानलेवा साबित हो जाता है। कई बार ये नींद में आ जाता है, लेकिन इसके आने के संकेत शरीर पहले से देने लगता है।
साइलेंट अटैक आने पर क्या होता है
साइलेंट हार्ट अटैक को मेडिकल भाषा में कार्डिक अरेस्ट भी कहा जाता है। साइलेंट अटैक आने पर मरीज को तेजी से अचानक से नींद आती है। पहली नज़र में देखने पर तो सामने वाले को भी यही समझ आता है कि, सामने वाला व्यक्ति सो रहा है। क्योंकि, अटैक आने से पहले पीड़ित को किसी तरह की तकलीफ भी नहीं होती। बता दें कि हार्ट अटैक के मामलों में 45 फीसदी मामले साइलेंट अटैक के होते हैं, वहीं, साइलेंट अटैक उन ही लोगों को नहीं आता जो दिल के रोगी हों। कई बार हार्ट डिसीज न होने पर भी साइलेंट अटैक आता है। महिलाओं की तुलना में साइलेंट अटैक के ज्यादा मामले पुरुषों में देखे जाते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक को मेडिकल भाषा में कार्डिक अरेस्ट भी कहा जाता है। साइलेंट अटैक आने पर मरीज को तेजी से अचानक से नींद आती है। पहली नज़र में देखने पर तो सामने वाले को भी यही समझ आता है कि, सामने वाला व्यक्ति सो रहा है। क्योंकि, अटैक आने से पहले पीड़ित को किसी तरह की तकलीफ भी नहीं होती। बता दें कि हार्ट अटैक के मामलों में 45 फीसदी मामले साइलेंट अटैक के होते हैं, वहीं, साइलेंट अटैक उन ही लोगों को नहीं आता जो दिल के रोगी हों। कई बार हार्ट डिसीज न होने पर भी साइलेंट अटैक आता है। महिलाओं की तुलना में साइलेंट अटैक के ज्यादा मामले पुरुषों में देखे जाते हैं।
क्यों नहीं होता साइलेंट अटैक में दर्द
साइलेंट अटैक में सीने में दर्द न होने की वजह न्यरोपैथी से जुड़ी है। अटैक आने स पहले अकसर दिमाग तक दर्द का अहसास कराने वाली नस ही ब्लॉक हो जाती है, जिसमें प्रवाहित खून दिमाग को किसी भी तकलीफ का संकेत देने में असफल हो जाता है और पीड़ित को पता भी नहीं चल पाता कि, आखिर उसे हुआ क्या? इसके अलावा ज्यादा उम्र के लोगों में ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी के कारण भी दर्द का अहसास नहीं हो पाता। लेकि, इन खास संकेतों की पहचान करके आप किसी विपदा को आने से पहले रोक सकते हैं। साइलेंट अटैक आने से पहले व्यक्ति को पांच तरह के संकेत मिलने लगते हैं, ये संकेत इतने कारगर हैं कि, इन्हें मेहसूस करके मौत को बहुत हद तक रोका जा सकता है।
साइलेंट अटैक में सीने में दर्द न होने की वजह न्यरोपैथी से जुड़ी है। अटैक आने स पहले अकसर दिमाग तक दर्द का अहसास कराने वाली नस ही ब्लॉक हो जाती है, जिसमें प्रवाहित खून दिमाग को किसी भी तकलीफ का संकेत देने में असफल हो जाता है और पीड़ित को पता भी नहीं चल पाता कि, आखिर उसे हुआ क्या? इसके अलावा ज्यादा उम्र के लोगों में ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी के कारण भी दर्द का अहसास नहीं हो पाता। लेकि, इन खास संकेतों की पहचान करके आप किसी विपदा को आने से पहले रोक सकते हैं। साइलेंट अटैक आने से पहले व्यक्ति को पांच तरह के संकेत मिलने लगते हैं, ये संकेत इतने कारगर हैं कि, इन्हें मेहसूस करके मौत को बहुत हद तक रोका जा सकता है।
साइलेंट अटैक से पहले दिखते हैं ये संकेत
जो लोग ज्यादा ऑयली, फैटी और प्रोसेस्ड फूड खाते हैं, उन्हें साइलेंट किलर की समस्या आती हैं। साथ ही जो लोग फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते , उन्हें भी ये बीमारी घेर लेती है। शराब और सिगरेट पीने वाले, डायबिटीज और मोटापे से ग्रसित लोगों के साथ जो लोग टेंशन और स्ट्रेस के शिकार होते हैं उन्हें साइलेंट अटैक आने की संभावना ज्यादा रहती है।
- गैस्ट्रिक प्रॉब्लम या पेट की खराबी
- बिना वजह हो रही कमजोरी और सुस्ती
- थोड़ी सी मेहनत में थकान लगना।
- अचानक ठंडा पसीना आना।
- बार-बार सांस फूलना।
जो लोग ज्यादा ऑयली, फैटी और प्रोसेस्ड फूड खाते हैं, उन्हें साइलेंट किलर की समस्या आती हैं। साथ ही जो लोग फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते , उन्हें भी ये बीमारी घेर लेती है। शराब और सिगरेट पीने वाले, डायबिटीज और मोटापे से ग्रसित लोगों के साथ जो लोग टेंशन और स्ट्रेस के शिकार होते हैं उन्हें साइलेंट अटैक आने की संभावना ज्यादा रहती है।
साइलेंट अटैक से बचने के लिए करें ये उपाय
जिन लोगों को ये सब परेशानी रहती हैं, उन्हें अपनी डाइट में सलाद और सब्जियां शामिल करनी चाहिए। रैग्यूलर वॉक, योगासन और व्यायाम भी इसके लिए बहुत जरूरी है। ऐसे लोगों को स्ट्रेस और टेंशन से दूर रहना चाहिए।
जिन लोगों को ये सब परेशानी रहती हैं, उन्हें अपनी डाइट में सलाद और सब्जियां शामिल करनी चाहिए। रैग्यूलर वॉक, योगासन और व्यायाम भी इसके लिए बहुत जरूरी है। ऐसे लोगों को स्ट्रेस और टेंशन से दूर रहना चाहिए।
डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।