scriptआपके सोने की आदत आपके बच्चे को बना रही है पढ़ाई में कमजोर | Staying awake late at night is harmful for children | Patrika News
स्वास्थ्य

आपके सोने की आदत आपके बच्चे को बना रही है पढ़ाई में कमजोर

Sleeping disorder in parents: यदि आप लेट सोते हैं, तो आपका बच्चा भी इससे प्रभावित हो रहा है। अगले दिन उसे स्कूल जाने में परेशानी होती और वह क्लास में अच्छी तरह से ध्यान नहीं लगा पाता। जानिए आपके देर से सोने की आदत से आपका बच्चा कितना प्रभावित हो रहा है।

Nov 29, 2023 / 02:54 pm

Jaya Sharma

बड़ों के साथ बच्चों का भी नींद चक्र बिगड़ रहा है

बड़ों के साथ बच्चों का भी नींद चक्र बिगड़ रहा है

बड़ों के साथ बच्चों का भी नींद चक्र बिगड़ रहा है। वजह, अधिकांश माता-पिता देर तक सोते हैं और लेट उठते हैं। इस कारण बच्चे भी देर तक जागते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों की नींद पूरी नहीं हो पाती। ज्यादातर घरों में अभिभावक रात 12.30 से 1 बजे तक सोते हैं। कभी-कभी इस से भी अधिक देरी से सोते हैं। इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि अगले दिन सुबह जल्दी उठने में बच्चों को दिक्कत होती है। न ही वे क्लास में पढ़ाई में ध्यान केंद्रित कर पाते हैं और न ही कोई शारीरिक एक्टीविटी करते हैं। कम उम्र से ही उन्हें सिर दर्द, हाइपर एक्टिवनेस, मोटापा, चिड़चिड़ापन और याददाश्त संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ मामलों में पर्याप्त नींद नहीं ले पाने वाले बच्चों का व्यवहार आक्रामक हो जाता है और वे स्लीपिंग डिसऑर्डर के शिकार हो जाते हैं।
यह कहती है रिपोर्ट
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार नींद बच्चों के मस्तिष्क के विकास में प्रमुख भूमिका निभाती है। माता-पिता की बदलती जीवन शैली के कारण बच्चों के स्लीपिंग ऑवर्स भी काफी कम हो गए हैं। स्कूल जाने वाले 6 से 12 साल तक के बच्चों के लिए 9-12 घंटे की नींद जरूरी है और 13 से 18 साल के किशोरों को 8 से 10 घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। बच्चे देर रात तक जागते हैं और सुबह 6-7 बजे स्कूल के लिए उठ नहीं पाते।
इमेजिंग पावर पर पड़ता है असर, सोने का समय हो तय
जो बच्चे पर्याप्त नींद नहीं ले पाते उनकी कल्पना शक्ति दूसरे बच्चों की तुलना में कम होती है। कक्षा में वे चीजें समझ नहीं पाते। सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है। बच्चों के सोने का एक निर्धारित समय होना चाहिए। जिससे बच्चों का स्लीप टाइम टेबल बन सके। कम नींद लेने वाले बच्चे क्रोधित और अति सक्रिय हो सकते हैं। कम नींद लेने से ध्यान देने की क्षमता भी कम होती है।
ऐसे करें समाधान
वैसे तो सबसे अच्छा समाधान हैं पैरेंट्स भी जल्दी सोने की आदत डालें, लेकिन यदि पैरेंट्स ऐसा नहीं कर पा रहे हैं,तो कम से कम बच्चों को जल्दी सुलाने की आदत डालनी चाहिए। बच्चों का टाइम टेबल सेट करें। इससे भी काफी सुधार देखने को मिलेगा।

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