मेडिकल पत्रिका लैंसेट के रिसर्च के अनुसार करीब सात करोड़ डायबिटीज़ के मरीजों की आबादी में भारत विश्व के टॉप थ्री डायबिटीज़ पीड़ित देशों में से एक है। जैसा की आपने शुरू में पढ़ा कि तिल का तेल डायबिटीज़ जैसी बीमारी की रोकथाम में मददगार है। इसलिए विशेषज्ञों ने पीड़ितों से अपने खाने में तिल के तेल का प्रयोग करने की सिफारिश की है। भारत में साल 2014 -2015 में 20 से 70 साल की उम्र वाले लोगों में डायबिटीज़ के 6 करोड68 से अधिक लाख मामले सामने आए है।
कितना फायदेमंद तिल का तेल केएनजी एग्रो फूड के निदेशक सिद्धार्थ गोयल ने कहा कि देश में तिल के तेल का बाजार बहुत व्यापक है। जिसका प्रयोग डायबिटीज़ को ठीक करने के लिए किया जा सकता है। विश्वभर में हर साल लगभग 30 लाख टन तिल का उत्पादन किया जाता है। जिसमें भारत में इसका लगभग 30 फीसदी उत्पादन होता है।मुख्य रूप से महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में तिल की खेती सबसे ज़्यादा होती है। यहां तीन तरह के तिल जिसमें पीले लाल और काले शामिल हैं की खेती की जाती है।
मधुमेह विशेषज्ञ एवं चिकित्सक डॉ अमरदीप सचदेव के अनुसार तिल के तेल में विटामिन.ई और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे लिगनैंस उच्च मात्रा में पाए जाते हैं। ये सभी तत्व टाइप.2 डायबिटीज़ के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। शोध के अनुसार डायबिटीज़ से पीड़ित मरीज़ जो खराब कार्डियोवैस्कुलर सेहत और फ्री रेडिकल्स जैसी बीमारी से घिरे होते हैं उन्हें तिल में पाए जाने वाले ऑक्सीडेंट्स सहायता करते हैं।
अनोखे गुणो वाला है तिल का पौधा आपको यह जानकर भी शायद आश्चर्य होगा कि तिल एक ऐसा पौधा है जो सूखे में भी विकसित किया जा सकता है। तिल की यह खासियत इसे उत्तरजीवी फसल बनाती है। तिल का तेल डायबिटीज़ के साथ खून में ग्लूकोज लेवल, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड स्तर को घटाता है। कोलेस्ट्रॉल पर इसके प्रभाव के कारण यह स्वाभाविक है कि तिल का तेल ऐसे रोगों को भी रोकता है जो डायबिटीज़ से पीड़ित मरीजों में आम माने जाते हैं।