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इसलिए वसंत ऋतु में बढ जाती हैं कफ संबंधी तकलीफ

locationजयपुरPublished: Feb 15, 2019 08:17:30 pm

Submitted by:

Ramesh Singh

वसंत शीत से ग्रीष्म ऋतु के बीच का समय होता है। इस समय दोनों ऋतुओं का थोड़ा-थोड़ा असर होता है। कफ की समस्या अधिक होती है। खानपान में संयम जरूरी है।

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इसलिए वसंत ऋतु में बढ जाती हैं कफ संबंधी बीमारियां

वसंत को आयुर्वेद में ‘ऋतुराज’ कहा गया है। खानपान और जीवनशैली में जरूरी सावधानियां बरतकर व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है। वसंत में कफ की अधिकता जठराग्नि को मंद कर देती है। इसीलिए भुने चने, कच्ची हल्दी, मूली, अदरक, पुराने जौ-गेहूं, साबुत मूंग से निर्मित दलिया व आटा खाने की सलाह देते हैं।

बचेंगे बीमार होने से

वसंत शीत से ग्रीष्म ऋतु के बीच का समय होता है। इस समय दोनों ऋतुओं का थोड़ा-थोड़ा असर होता है। कफ की समस्या अधिक होती है। खानपान में संयम जरूरी है। जठराग्रि कमजोर होने से पाचन सही नहीं रहता है। हृदय के लिए हितकारी आसव अरिष्ट जैसे कि मध्वारिष्ट, द्राक्षारिष्ट, गन्ने का रस, सिरका आदि पीना फायदेमंद रहता है। मौसम के अनुसार भोजन तन व मन दोनों के लिए फायदेमंद है। इसलिए भोजन में परिवर्तन जरूरी है। ऋतु अनुसार आहार लेने वाले लोग स्वस्थ व प्रसन्नचित रहते हैं। ऐसे लोगों के बीमार होने की आशंका कम रहती है।

सुबह की धूप : सुबह जल्दी उठकर थोड़ा व्यायाम करना, दौडऩा लाभदायक होता है। मालिश करके सूखे द्रव्य जैसे आंवले, त्रिफला अथवा चने के आटे का उबटन लगाकर गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए। सुबह के समय हल्की धूप लेनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूरे वर्ष के लिए शरीर में विटामिन डी एकत्रित हो जाता है।

– डॉ. हेतल एच. दवे, एनआइए, जयपुर

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