बचेंगे बीमार होने से
वसंत शीत से ग्रीष्म ऋतु के बीच का समय होता है। इस समय दोनों ऋतुओं का थोड़ा-थोड़ा असर होता है। कफ की समस्या अधिक होती है। खानपान में संयम जरूरी है। जठराग्रि कमजोर होने से पाचन सही नहीं रहता है। हृदय के लिए हितकारी आसव अरिष्ट जैसे कि मध्वारिष्ट, द्राक्षारिष्ट, गन्ने का रस, सिरका आदि पीना फायदेमंद रहता है। मौसम के अनुसार भोजन तन व मन दोनों के लिए फायदेमंद है। इसलिए भोजन में परिवर्तन जरूरी है। ऋतु अनुसार आहार लेने वाले लोग स्वस्थ व प्रसन्नचित रहते हैं। ऐसे लोगों के बीमार होने की आशंका कम रहती है।
सुबह की धूप : सुबह जल्दी उठकर थोड़ा व्यायाम करना, दौडऩा लाभदायक होता है। मालिश करके सूखे द्रव्य जैसे आंवले, त्रिफला अथवा चने के आटे का उबटन लगाकर गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए। सुबह के समय हल्की धूप लेनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूरे वर्ष के लिए शरीर में विटामिन डी एकत्रित हो जाता है।
– डॉ. हेतल एच. दवे, एनआइए, जयपुर