कपालभाती प्राणायाम
लाभ: वजन नियंत्रित कर नसों में फैलाव पैदा करता है।
विधि: जमीन पर वज्रासन,पद्मासन या सिद्धासन में बैठें। फिर नाक से सांस को झटके से जल्दी-जल्दी बाहर छोड़ें। शुरुआत में २०-३० बार करें, फिर अभ्यास बढ़ाएं।
ध्यान रखें
चक्कर आने,हर्निया,मिर्गी,हाई बीपी के मरीज इसको न करें।
विपरीत करणी आसन
लाभ: पैरों की थकान दूर करता है। मांसपेशियां मजबूत करता है,तनाव व थकान दूर करने में मददगार है।
विधि:इसमें लेटकर दोनों पैरों को ९० डिग्री के कोण में ऊपर ले जाना होता है। जो लोग बिना सहारे इसे नहीं कर पाएं वे दीवार के सहारे पैरों को सीधा ऊपर उठा सकते हैं। इसके लिए पीठ के बल सीधा लेटकर दोनों हाथों को भी सीधा रखें। सांस लेते हुए घुटनों को ऊपर की ओर मोड़ेंं। दोनों हाथों को कूल्हों पर और कोहनी को जमीन पर टिकाए रखें। अब हाथों की मदद से पैरों को ऊपर की ओर सीधे उठाने का प्रयास करें। सामान्य सांस लेते हुए कुछ देर ऐसे ही रहें। धीरे-धीरे पैरों को नीचे लाकर सीधे लेट जाएं। इसे दो-तीन बार कर सकते हैं।
ध्यान रखें: इसे सुबह खाली पेट करें। पेट व पीठ में दर्द, हाई ब्लड प्रेशर के अलावा मासिक चक्र के दौरान इसका अभ्यास न करें।
हस्तपादासन
लाभ: इसे करने से रक्त का प्रवाह दिमाग तक जाता है जिससे शरीर में गर्माहट आती है और अकडऩ दूर होती है।
विधि: सामान्य स्थिति में सीधे खड़े हा़ेें। इसके बाद कमर के ऊपर के हिस्से को आगे की ओर क्षमतानुसार झुकाएं। इस क्रिया में घुटने को मुडऩे न दें। कुछ देर रुकें फिर धीरे-धीरे शुरुआती अवस्था में आ जाएं।
ध्यान रखें: हर्निया, रीढ़ की हड्डी या पेट से जुड़ी समस्या वाले न करें। हाई बीपी व चक्कर आने पर न करें।