शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसकी अनुपस्थिति में फैट सेल्स पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। इस स्थिति को लिपोडायस्ट्रोफी कहते हैं। फैट सेल्स नहीं होने पर फैट अन्य टिश्यू (ऊत्तकों) के संपर्क में आ जाता है। इसकी वजह से वे इंसुलिन प्रतिरोधी हो जाते हैं। ऐसे में टाइप-2 डायबिटीज बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोध करने वाली टीम ने इसका परीक्षण भी किया। पोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए सेल्स को नए प्रोटीन उत्पादित करने पड़ते हैं, ताकि फैट का संग्रह अधिक दक्षता के साथ किया जा सके। पीटीआरएफ के अभाव में फैट सेल्स प्रोटीन बनाने में असमर्थ हो जाते हैं।