scriptट्विस्ट इंजरी में तुरंत सूजन नहीं आती, खड़े होने पर होता है दर्द | Twist injuries do not get swollen immediately, pain occurs when standi | Patrika News

ट्विस्ट इंजरी में तुरंत सूजन नहीं आती, खड़े होने पर होता है दर्द

locationजयपुरPublished: Oct 26, 2018 05:33:46 pm

Submitted by:

Ramesh Singh

खेलते या एक्सरसाइज करते इंजरी होने पर सूजन आती है। कई बार सूजन तुरंत नहीं आती है लेकिन तेज दर्द है तो हो सकता है यह लिगामेंट इंजरी यानी ट्विस्ट इंजरी हो। इसकी एमआरआई जांच करवाते हैं।

Sports Injury

ट्विस्ट इंजरी में तुरंत सूजन नहीं आती, खड़े होने पर होता है दर्द

जयपुर. वर्कआउट से पहले वार्मअप और बाद में पोस्ट एक्सरसाज रेस्ट जरूरी है। इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है। यदि वार्मअप के बिना वर्कआउट करते हैं तो इंजरी हो सकता है। बोन इंजरी होने पर तुरंत सूजन आती है। यदि सूजन नहीं आती है और खड़े होने में तेज दर्द हो रहा है तो लिगामेंट इंजरी यानी ट्विस्ट इंजरी होती है। सूजन एक से पांच दिन में आ सकती है।

कार्टिलेज इंजरी में भी दर्द

कार्टिलेज में इंजरी से भी घुटनों में दर्द होता है। कार्टिलेज चिकनी सतह होती है। इंजरी होने पर यह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसे री जनरेट कर री प्लांट करते हैं।

रस्सीनुमा तंतुओं लिगामेंट है
लिगामेंट्स क्या हैं और ये कैसे ज्वाइंट्स को संचालित करते हैं। रस्सीनुमा तंतुओं के ऐसे समूह हैं जो हड्डियों को आपस में जोड़कर उन्हें स्थायित्व प्रदान करते हैं। इस कारण जोड़ सुचारु रूप से कार्य करते हैं। घुटने का जोड़ घुटने के ऊपर फीमर और नीचे टिबिया नामक हड्डी से बनता है। बीच में टायर की तरह के दो मेनिस्कस (एक तरह का कुशन) होता है। फीमर व टिबिया को दो रस्सीनुमा लिगामेंट (एनटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट और पोस्टेरियर क्रूसिएट लिगामेंट) आपस में बांध कर रखते हैं और घुटनों को स्थायित्व प्रदान करते हैं। घुटने के दोनों तरफ कोलेटेरल और मीडियल कोलेटेरल लिगामेंट और लेटेरल कोलेटरल लिगामेंट नामक रस्सीनुमा लिगामेंट्स होते हैं। इनका कार्य भी क्रूसिएट की तरह दोनों हड्डियों को बांध कर रखना है।

एक्सरे से पता नहीं चलता

लिगामेंट इंजरी हुई है तो यह एक्सरे में नहीं आती है। इसके लिए एमआरआई जांच कराते हैं। यदि माइनर इंजरी है तो दवाओं व फिजियोथैरेपी से ठीक होती है। कम्प्लीट इंजरी होने पर दूरबीन से सर्जरी करते हैं। लिगामेंट इंजरी में इलाज चोट के आधार पर करते हैं। यदि मरीज युवा है और स्पोट्र्स या डांस जैसी एक्टिविटी में रहता है तो आर्थोस्कोपिक सर्जरी करते हैं।

– डॉ. सौरभ माथुर, हड्डी रोग एवं स्पोट्र्स इंजरी एक्सपर्ट, जयपुर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो