यूके की यूनिवर्सिटी आॅफ एक्सेटर में हुए इस अध्ययन में 100 से अधिक को शामिल किया। रिसर्च के दौरान उन सभी लोगों को लाभ मिला, जिनके घरों के आस-पास पेड़-पौधे, चिड़िया और पक्षी ज्यादा पाए जाते थे। वहीं वो लोग जो शहरी और हरियाली से दूर इलाकों में रहते थे उनमें तनाव, चिंता और डिप्रेशन के लक्षण पाए गए।
इस शोध में अलग-अलग उम्र, जाति और आय और के 270 लोगों का मानसिक परिक्षण किया गया। शोध से ये रिजल्ट सामने आया कि जिन लोगों ने पिछले हफ्ते के मुकाबले घर से बाहर कम टाइम बिताया, उनमें तनाव, चिंता और डिप्रेशन के ज्यादा लक्षण पाए गए।
हालांकि, इस रिसर्च में ये तो सामने नहीं आया कि पक्षियों का मेंटल हेल्थ से क्या सम्बन्ध है, लेकिन ये बात ज़रुर सामने आई कि जो लोग अपनी खिड़कियों या पार्क में अपने आस-पास जितनी चिड़िया या पंछी दिखाई देते हैं, उनकी संख्या से ज़रूर को सम्बन्ध है। यह अध्ययन इस बात को ध्यान में रखकर शुरू किया गया था कि हमारी प्रकृति का हमारी मानसिक स्थिति में क्या भूमिका निभाती है।