शोधकर्ताओं की टीम ने चयापचयी (मेटाबॉलिक) और कार्डियोवैस्क्युलर (हृदयवाहिनी) से संबंधित जांच के लिए लंदन के बरमिंघम और लिसेस्टर के 200 प्राथमिक स्कूलों से 9-10 वर्ष के लगभग 4,500 बच्चों को प्रयोग के दायरे में लिया। सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के एम.नाईटेंगल ने अपने इस शोध का हवाला देते हुए बताया कि बचपन के शुरुआती वर्षों में बच्चों के टीवी स्क्रीन पर कम समय बिताने से उनमें टाइप-2 डायबिटीज की आशंका कम रहती है। शोध का निष्कर्ष पत्रिका ‘आर्काइव्स ऑफ डिजीज इन चाइल्डहुड’ में प्रकाशित हुआ है।