ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वेक्सनर मेडिकल सेंटर में स्पोट्र्स मेडिसिन विशेषज्ञ माइकल जोन्सको का कहना है कि जिस स्त्री-पुरुषों के इस थर्मल बिहेवियर के अध्ययन से एथलेटिक प्रदर्शन में भी सुधार हो सकता है। वहीं वर्गास और उनके सहयोगियों का मानना है कि अध्ययन बुजुर्गों और उन लोगों के लिए देखभाल करने में क्लिीनिकल रूप से उपयोगी साबित हो सकता है जो मल्टीपल स्केलेरोसिस या एमएस *(एक ऐसी बीमारी है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र अर्थात रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को प्रभावित करती है। इसमें किसी व्यक्ति को अक्षम करने की क्षमता है) जैसी कुछ बीमारियों से पीडि़त हैं। दरअसल एमएस ने हमारी थर्मोरेगुलेट्री पैटर्न में बदलाव कर दिया है जिससे हमारे शरीर की पसीने के स्राव की क्षमता कम हो गई है। इस कारण हमारा शरीर अब जल्द ही गर्म हो जाता है।
अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने 20 साल की आयु वर्ग के 10 युवकों और 10 युवतियों को जिम साइकिल पर हल्का व्यायाम करने को कहा। प्रति मिनट लगभग 65 राउंड की गति से उन्होंने जब साइकिलिंग तो उनकी गर्दन के पीछे लगी खास चिप से शरीर का थर्मल डेटा एक कस्टमाइज्ड दो ट्यूबों वाले डिवाइस पर प्रदर्शित हो रहा था। शोधकर्ताओं ने पाया कि व्यायाम के दौरान शरीर के तापमान में समान परिवर्तन के बावजूद, महिलाओं को खुद को स्थिर रखने के लिए अधिक कूलिंग की जरुरत महसूस हो रही थी।
वर्गास का मानना है कि ऐसा दरअसल पुरुषों की तुलना में महिलाओं की गर्दन में अधिक वसा के कारण होता है। ऐसे ही तीव्र गति से व्यायाम के बाद कूल-डाउन होने के समय पुरुषों की त्वचा का तापमान धीरे-धीरे गिर गया और एक घंटे के भीतर सामान्य हो गया। जबकि महिलाओं की त्वचा का तापमान अधिक तेजी से गिरा और वे 10 मिनट के भीतर सामान्य हो गईं। अध्ययन के अनुसार उनके शरीर का आंतरिक तापमान यानी उनके रक्त का तापमानऊंचा बना रहता है जिसकेचलते उन्हें खुद को कूल रखने की ज्यादा जरुरत पड़ती है। हालांकि कुछ वैज्ञानिकोंका यह भी कहना है कि अभी शोध के नतीजे शुरुआती चरण के हैं। इसलिए इस बारे में और अनुसंधान की जरुरत है।