लंग्स ही ऑक्सीजन को फिल्टर करने का काम करता है और यहां से ऑक्सीजन शरीर के कोने-कोने तक पहुंचता है, लेकिन अगर लंग्स कमजोर होंगे तो सांस से जुड़ी दिक्कत के साथ कई अन्य परेशानियां भी उभरने लगती हैं। फेफड़ों के सिकुड़ने की वजह से ही लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है और सीने में दर्द, जकड़न और बलगम बनने की समस्या बढ़ जताी है।
लंग्स कमजोर हो चुके हैं तो इन चीजों से बना लें दूरी - lungs have become weak, keep distance from these things डेयरी प्रोडक्ट्स
डेयरी प्रोडक्ट्स यानि दूध, दही और पनीर लंग्स की बीमारी को बढ़ाने का काम करते हैं। ऐसे में अगर आपके लंग्स प्रॉपर तरीके से काम नहीं करते तो आप दूध या उससे बनी चीजों से दूरी बना लें।
डेयरी प्रोडक्ट्स यानि दूध, दही और पनीर लंग्स की बीमारी को बढ़ाने का काम करते हैं। ऐसे में अगर आपके लंग्स प्रॉपर तरीके से काम नहीं करते तो आप दूध या उससे बनी चीजों से दूरी बना लें।
ज्यादा नमक
लंग्स को हेल्दी रखना है तो कम नमक खाना चाहिए और अगर आप किसी भी तरह की लंग्स की बीमरी से ग्रस्त हैं तो नमक बेहद कम खाना चाहिए क्योंकि इससे लंग्स में सूजन की समस्या या पानी भरने की आशंका बढ़ जाएगी। हाई सोडियम से अस्थमा का खतरा भी बढ़ता है।
लंग्स को हेल्दी रखना है तो कम नमक खाना चाहिए और अगर आप किसी भी तरह की लंग्स की बीमरी से ग्रस्त हैं तो नमक बेहद कम खाना चाहिए क्योंकि इससे लंग्स में सूजन की समस्या या पानी भरने की आशंका बढ़ जाएगी। हाई सोडियम से अस्थमा का खतरा भी बढ़ता है।
शुगर ड्रिंक्स
लंग्स के लिए शुगर वाले ड्रिंक्स बेहद नुकसानदायक होते हैं। सोड़ा, पैक्ड जूस आदि से ब्रोंकाइटिस का खतरा बढ़ता है। इसकी जगह विटामिन सी युक्त साबूत फल या उनके ताजे जूस पीएं। बस ये ठंडे नहीं होने चाहिए।
लंग्स के लिए शुगर वाले ड्रिंक्स बेहद नुकसानदायक होते हैं। सोड़ा, पैक्ड जूस आदि से ब्रोंकाइटिस का खतरा बढ़ता है। इसकी जगह विटामिन सी युक्त साबूत फल या उनके ताजे जूस पीएं। बस ये ठंडे नहीं होने चाहिए।
सब्जी
पेट में गैस बनने की प्रॉब्लम से भी फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। गोभी और ब्रोकली, बंद गोभी में ज्यादा क्वांटिटी में न्यूट्रिएंट्स होते हैं, लेकिन ये एसिडिटी और ब्लोटिंग का कारण बनते हैं, इसने भी लंग्स को नुकसान होता है।
पेट में गैस बनने की प्रॉब्लम से भी फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। गोभी और ब्रोकली, बंद गोभी में ज्यादा क्वांटिटी में न्यूट्रिएंट्स होते हैं, लेकिन ये एसिडिटी और ब्लोटिंग का कारण बनते हैं, इसने भी लंग्स को नुकसान होता है।
शराब-सिगरेट
एल्कोहॉल या सिगरेट पीना लंग्स के लिए जहर समान होता है और ये कोरोना संक्रमण की तरह ही फेफड़े को नुकसान पहुचाता है। लंग्स के साथ लिवर को भी ये डैमेज करते हैं। इसमें सल्फाइड और इथेनॉल मौजूद होता है. जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एल्कोहॉल या सिगरेट पीना लंग्स के लिए जहर समान होता है और ये कोरोना संक्रमण की तरह ही फेफड़े को नुकसान पहुचाता है। लंग्स के साथ लिवर को भी ये डैमेज करते हैं। इसमें सल्फाइड और इथेनॉल मौजूद होता है. जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एंटी मॉस्किटो क्वाइल
मच्छर भगाने वाली क्वॉइल और अगरबत्ती के धुएं में कैंसर पैदा करने वाले के तत्व होते हैं और ये लंग्स कैंसर का कारण बन सकते हैं। बंद कमरे में इन क्वॉइल को जलाना 100 सिगरेट के धुंए लेने के बराबर होता है। इसमें पाया जाने वाला पायरेथ्रिन पेस्टीसाइड है जो कि फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। लो स्मोक वाले क्वॉइल भी उतने ही नुकसानदायक होते हैं, क्योंकि ये कार्बनडॉक्साइट की मात्रा बढ़ा देते हैं।
मच्छर भगाने वाली क्वॉइल और अगरबत्ती के धुएं में कैंसर पैदा करने वाले के तत्व होते हैं और ये लंग्स कैंसर का कारण बन सकते हैं। बंद कमरे में इन क्वॉइल को जलाना 100 सिगरेट के धुंए लेने के बराबर होता है। इसमें पाया जाने वाला पायरेथ्रिन पेस्टीसाइड है जो कि फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। लो स्मोक वाले क्वॉइल भी उतने ही नुकसानदायक होते हैं, क्योंकि ये कार्बनडॉक्साइट की मात्रा बढ़ा देते हैं।
पॉल्यूशन से खतरा
अगर आप ऐसी जगह रहते हैं जहां पॉल्यूशन का लेवल हाई है तो तय है आपके लंग्स हेल्दी नहीं रह सकते। इसके लिए मास्क पहनें और अपने आसपास ऑक्सीजन वाले पौधे लगाएं।
अगर आप ऐसी जगह रहते हैं जहां पॉल्यूशन का लेवल हाई है तो तय है आपके लंग्स हेल्दी नहीं रह सकते। इसके लिए मास्क पहनें और अपने आसपास ऑक्सीजन वाले पौधे लगाएं।
तो इन चीजों से खुद को बचाना जरूरी है ताकि आप लंग्स की बीमारी से बच सकें और लंग्स की कैपेसिटी को बढ़ा सकें। डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।