दुनियाभर में तेजी से फैल रहे जीका वायरस को खत्म करने के लिए अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्सियस डिजिज ( एनआइएआइडी) के वैज्ञानिकों ने जीका वायरस की वैक्सीन तैयार की है। वैक्सीन तैयार होने के बाद इसका परीक्षण किया गया जिसका अंतिम परिणाम साल के अंत तक आने की उम्मीद है। एनआइएआइडी के निदेशक एंथनी फॉसी का कहना है कि अगर परीक्षण सफल होता है तो अगले चरण की तरफ बढ़ा जाएगा। इसके बाद दोबारा जीका वायरस पैर पसारता है तो फूड एंड ड्रग एडमिनिस्टे्रशन (एफडीए) आपातकाल में टीके का निर्माण कर सकता है और लोगों को इस वायरस की चपेट में आने से बचाया जा सकता है।
वायरस का तोड़ निकालना बहुत जरूरी पब्लिक हैल्थ एक्स्पर्ट और चिकित्सा जगत से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के बचाव के लिए जल्द से जल्द कड़े कदम उठाने होंगे। वायरस से गर्भस्थ शिशु को अधिक नुकसान होता है जिससे वे जन्मजात विकृति के साथ पैदा होते हैं। इसमें बच्चे के सिर और उसके दिमाग का विकास न होने के साथ आंखों और जोड़ों संबंधी समस्या हो सकती है। इस तरह की तकलीफ के साथ जन्म लेने वाले बच्चों का इलाज भी बेहद मुश्किल है।
अमरीका के फ्लोरिडा में भी जीका का कहर अमरीका के शहर फ्लोरिडा में भी जाका वायरस अपना कहर बरपा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक 1,228 गर्भवती महिलाएं जीका वायरस की चपेट में आईं जबकि 54 बच्चे जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुए जबकि छह मामले में गर्भपात हो गया।
736 करोड़ की लागत से वैक्सीन पर रिसर्च जीका वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ को 100 मिलियन डॉलर (करीब 736 करोड़) रुपए का बजट स्वीकृत किया है। टीका बनाने के लिए काम करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि पहले चरण में उन्हें कामयाबी मिली है। दो और चरण की प्रक्रिया बाकी है जिसके बाद असल परिणाम सामने आएंगे। वैज्ञानिकों की कोशिश है कि सुरक्षित वैक्सीन बनाना है जिससे मरीज के रोग प्रतिरोधक क्षमता पर कोई असर न पड़े।
(वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत)