अजय सिंह ने हालांकि सोमवार को दिल्ली में ही कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए अपने सांसद पुत्र दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय सिंह चौटाला के प्रतिद्वंद्वी चाचा अभय सिंह चौटाला को परोक्ष में चेतावनी दी थी कि पार्टी किसी की बपौती नहीं है। उन्होंने कहा था कि वे मंगलवार से जिला स्तर पर सभाओं को संबोधित करने की शुरूआत करेंगे और जींद में 17 नवम्बर को इसका समापन करते हुए आगे की रणनीति का ऐलान करेंगे। अजय सिंह ने अपने इस कार्यक्रम के तहत मंगलवार को पहली सभा चरखी-दादरी में संबोधित करते हुए अपने इस अभियान को कार्यकर्ताओं की लडाई का रूप दिया। उन्होंने कहा कि पिछले समय में कई बार कई कार्यकर्ताओं ने उन्हें बताया कि पार्टी के कार्यक्रमों में उनका अपमान किया जाता है। लेकिन अब उनका अपमान नहीं होने दिया जाएगा।
अजय सिंह ने कहा कि जन सभाओं और पार्टी के मंचों पर कार्यकर्ताओं का अपमान किया गया है। कई कार्यकर्ताओं का उत्पीडन किया गया। ये कार्यकर्ता शिकायत लेकर मेरे पास पहुंचते रहे हैं लेकिन मैंने उनसे कहा कि भूल जाओ। लेकिन अब समय बदल गया है। मैं भरोसा दिलाता हूं कि अब ऐसा अपमान नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं की भावनाओं के मद्देनजर वे आगामी 17नवम्बर को जींद में अपने फैसले का ऐलान करेंगे। अजय सिंह ने भाई अभय सिंह पर भी प्रहार किया। अभय सिंह ने आरोप लगाया था कि अजय सिंह ने अपने हितों के लिए कांग्रेस से समझौता किया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यहां बैठे लोग कांग्रेसी है। मुझे उन पर दया आती है जो ऐसी सोच रखते है। उन्होंने कहा कि एक समय तो चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला भी कांग्रेस में थे। कांग्रेस ने किसानों के हितों से समझौता किया। हम आम आदमी के हितों की लडाई आगे बढा रहे है।
अजय सिंह ने कहा कि वे समझौते के लिए भी तैयार है। लेकिन यह हर एक के लिए सम्मानजनक होना चाहिए। हम सत्ता के भूखे नहीं है। अंदरूनी तौर पर इंडियन नेशनल लोकदल में चाचा अभय सिंह चौटाला के साथ अजय सिंह के हिसार से सांसद पुत्र दुष्यंत चौटाला की खीचतान गोहाना में चौधरी देवीलाल के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सम्मान दिवस रैली में तब खुलकर सामने आ गई थी जबकि युवाओं के एक समूह ने लगातार हूटिंग की थी और खासकर अभय सिंह चौटाला के संबोधन के दौरान हूटिंग की गई थी। उस समय मंच पर ओमप्रकाश चौटाला भी मौजूद थे। इस घटनाक्रम को अनुशासनहीनता मानते हुए जांच करवाई गई और दुष्यंत चौटाला व उनके छोटे भाई दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निकाल दिया गया। इसके जवाब में ही इन सभाओं का दौर शुरू हुआ है।