हिसार

कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने को खुद फील्ड में उतरेंगे सीएम

हरियाणा में जहां विपक्षी दलों ने अपने तरीके से चुनावी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है

हिसारJan 09, 2018 / 09:43 pm

शंकर शर्मा

चंडीगढ़। हरियाणा में जहां विपक्षी दलों ने अपने तरीके से चुनावी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है वहीं प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने भी इस दिशा में सक्रियता बढ़ा दी है। पिछले तीन वर्षों के दौरान कार्यकर्ताओं व नेताओं की अनदेखी का आरोप झेलने वाले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल अब खुद फीलड में उतर गए हैं। जिसके चलते बृहस्पतिवार से मुख्यमंत्री कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का दौर शुरू करने जा रहे हैं।


मुख्यमंत्री ने 11 जनवरी को अपने आवास पर सोनीपत, कैथल, गुरुग्राम व रेवाड़ी जिलों के प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में चारों जिलों के नेताओं के अलावा इन जिलों के अधीन आने वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों के प्रमुख वर्कर भी मौजूद रहेंगे। बैठक में कैथल जिला के कैथल, गुहला-चीका, कलायत व पुंडरी, सोनीपत जिला के सोनीपत, राई, गन्नौर, खरखौदा, गोहाना व बरोदा, गुरुग्राम जिले के गुरुग्राम सिटी, बादशाहपुर, पटौदी व सोहना तथा रेवाड़ी जिले के रेवाड़ी, बावल व कोसली हलके के प्रमुख वर्करों एवं पदाधिकारियों को बैठक में बुलाया गया है।


पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के अलावा पार्टी के प्रदेश स्तर के वरिष्ठ नेता एवं सीएम कार्यालय के आला अफसर भी बैठक में रहेंगे। इन बैठकों में संबंधित हलकों से पार्टी विधायकों को भी बैठक बुलाया गया है। जिन हलकों में विपक्ष के विधायक हैं, वहां से 2014 के चुनाव में उम्मीदवार रहे नेता एवं प्रमुख लोग बैठक में शामिल रहेंगे। अपने कार्यकाल के करीब सवा तीन वर्षों में सीएम खट्टर व्यक्तिगत तौर पर राज्य के सभी 90 हलकों में जनसभाएं कर चुके हैं।


इसी तरह से वह अधिकांश जिलों में भी रात्री प्रवास कर चुके हैं। अभी तक सीएम द्वारा करीब चार हजार घोषणाएं की गई हैं। बेशक, सरकार का दावा है कि 60 प्रतिशत के करीब घोषणाएं या तो पूरी हो चुकी हैं या फिर उन पर काम चल रहा है लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है। बड़ी संख्या में विकास परियोजनाएं अभी तक भी अधर में लटकी हुई हैं।


सूत्रों का कहना है कि सरकार के कामकाज को लेेकर अकसर उठने वाली उंगलियों को ध्यान में रखते हुए ही सीएम ने अब सभी हलकों की बैठकें अपने आवास पर करने का निर्णय लिया है। इन बैठकों के जरिए वर्करों से उनके ‘मन की बात’ जानी जाएगी और आम लोगों की नब्ज भी टटोली जाएगी ताकि विधानसभा चुनावों में किसी तरह का नुकसान न उठाना पड़े।

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