विवाद में उलझे इनेलो नेता भले ही सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन यह विवाद लगातार गहराता जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इनेलो-बसपा गठबंधन में खटास तब ही पैदा हो गई थी जब विधानसभा में हुए जूता प्रकरण के बाद कांग्रेस नेता करण दलाल ने उत्तर प्रदेश में अपने संपर्कों के माध्यम से मायवती को पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा दिया। इसके बाद इनेलो नेता अंतिम समय तक गोहाना रैली में मायावती के शामिल होने का दावा करते रहे।
मायावती के नाम पर दलितों को गोहाना रैली में शामिल होने के लिए भी लामबंद किया गया लेकिन ऐन समय पर मायावती ने गोहाना रैली में शामिल होने से इनकार कर दिया। मायावती की कमी को पूरा करने के लिए ओपी चौटाला ने मंच से उन्हें प्रधानमंत्री बनता देखने का सपना भी रैली में शामिल लोगों को दिखाने का प्रयास किया लेकिन चौटाला के यह प्रयास अब विफल होते दिख रहे हैं।
इनेलो में मचे घमासान के बाद बसपा का शीर्ष नेतृत्व भी अब पुनर्विचार के मोड में चला गया है। सूत्रों की मानें तो इनेलो इस समय राजनीतिक रूप से बिखराव की तरफ है। हरियाणा की राजनीति में बसपा पहले से ही हाशिए पर चल रही है। बसपा नेताओं का मानना है कि वर्तमान हालात में गठबंधन का ग्राफ लगातार नीचे आ रहा है। जिसके चलते पिछले एक सप्ताह से बसपा के नेता भी अज्ञातवास में चले गए हैं।
सूत्रों के अनुसार बदले हुए राजनीतिक हालातों में बसपा सुप्रीमों मायावती ने दुष्यंत चौटाला को मुलाकात के लिए अगले सप्ताह का समय दे दिया है। दुष्यंत की मायावती से मुलाकात हरियाणा की राजनीति के अलावा गठबंधन की राजनीति को पूरी तरह से प्रभावित करेगी।