एक साल पहले हरियाणा सिविल सेवा-न्यायिक शाखा की प्रारम्भिक परीक्षा का पेपर लीक होने का मामला सामने आया था। हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने अभियुक्त बलविंदर कुमार शर्मा,सुनील चैपडा,सुनीता और सुशीला की जमानत याचिका मंजूर करते हुए कहा कि अभियुक्तों को साक्ष्यों को किसी तरह से नष्ट नहीं करना है और गवाहों को प्रभावित नहीं करना है। उन्हें अपने पासपोर्ट भी सम्बन्धित अधिकारी को जमा करना होगा।
मुख्य न्यायाधीश कृृष्णमुरारी,जस्टिस राजेश बिंदल,जस्टिस राजन गुप्ता,जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया,जस्टिस अरूण पल्ली की पीठ के समक्ष अभियुक्त बलविंदर कुमार शर्मा के वकील रमेश कुमार बामल के कहा कि उनके मुवक्किल ने कोई अपराध नहीं किया। पेपर लीक के समय वह पेपर प्रभारी भी नहीं थे। अभियुक्तों की ओर से यह भी दलील दी गई कि उन्हें अवैध हिरासत में रखा गया है क्योंकि उनके खिलाफ चालान पेश किया जा चुका है। उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। उन्होंने यह दावा भी किया कि फोन काॅल की जांच में बलविंदर कुमार शर्मा और एक अन्य अभियुक्त के बीच बातचीत को रिकाॅर्ड किए जाने की बात की पुष्टि अभी निर्णायक रूप से नहीं हुई है।
एक अन्य अभियुक्त सुनीता के वकील पूरन सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल को बगैर मुकदमा चलाए नौ माह जेल में रखा गया है। सुनवाई कर रही अदालत ने चालान को लम्बित रख दिया है। अधीनस्थ न्यायालयों में 109 पदों को भरने के लिए पिछले साल जुलाई में भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की कमेटी ने हरियाणा लोकसेवा आयोग के जरिए आवेदनपत्र आमंत्रित किए थे। इस परीक्षा के तुरन्त बाद एक आशार्थी सुमन ने परीक्षा में घोटाला होने का आरोप लगाते हुए जांच के लिए याचिका दायर की थी। सुमन ने दावा किया कि उससे दो अन्य आशार्थी सुशीला व सुनीता ने सम्पर्क किया था और बताया था कि उनके पास परीक्षा का पेपर है। सुमन ने यह भी कहा था कि उसे परीक्षा के एक दिन पहले दो प्रश्न बताए गए थे। उसने यह भी कहा कि अभियुक्तों ने उससे बाकी प्रश्नों के लिए एक करोड रूपए मांगे थे लेकिन उसने नामंजूर कर दिया था।