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चौटाला राज में हुआ सर्वाधिक दलबदल,अब तक 19 विधायक गंवा चुके हैं कुर्सी

locationहिसारPublished: Mar 27, 2019 06:20:29 pm

Submitted by:

Prateek

हजकां बनाई तो भजनलाल पर भी हुई थी कार्रवाई…
 

(चंडीगढ़,हिसार): हरियाणा के अस्तित्व में आने से लेकर आज तक कुल 19 विधायक दल-बदल के चलते अपनी विधायकी गंवा चुके हैं। प्रदेश में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष के पास इन विधायकों पर दल-बदल विरोधी एक्ट के तहत कार्रवाई के लिए सिर्फ छह महीने का समय है। दल-बदल विरोधी एक्ट के तहत विधायकों की सदस्यता खत्म करने की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में हुई। वर्ष 1991 में चौटाला की सिफारिश पर तत्कालीन स्पीकर हरमोहिंदर सिंह ने अपनी ही पार्टी लोकदल के तीन विधायकों मुंढाल से वासुदेव शर्मा, फिरोजपुर झिरका के अजमत खान और साल्हावास के राम नारायण की सदस्यता दल-बदल के आरोप में रद कर दी थी। इससे चौटाला सरकार अल्पमत में आ गई थी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा।


चौटाला की सरकार में ही यही कहानी फिर वर्ष 2000 में दोहराई गई, जब आठ विधायकों को अयोग्य करार दिया गया। तब स्पीकर सतबीर सिंह कादियान ने आरबीआई के पलवल से विधायक करण सिंह दलाल और एनसीपी के दादरी से विधायक जगजीत सिंह सांगवान के साथ ही निर्दलीय विधायकों सोनीपत के देवराज दीवान, इंद्री के भीमसेन मेहता, करनाल के जय प्रकाश गुप्ता, बल्लभगढ़ के राजेंद्र बिसला, झज्जर के दरियाव सिंह और नारनौल के मूला राम को कांग्रेस में शामिल होने के चलते विधायक पद के अयोग्य करार दे दिया।

 

वर्ष 2008 में कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल, गोहाना के विधायक धर्मपाल मलिक और इंद्री के विधायक राकेश कंबोज को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष रघुबीर सिंह कादियान ने दल बदल कानून के तहत दोषी ठहराते हुए विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी थी।

 

हुड्डा सरकार में अंत तक बची रही थी कुर्सी


वर्ष 2011 में हजकां के पांच विधायकों सतपाल सिंह सांगवान, विनोद भ्याना, राव नरेंद्र सिंह, धर्म सिंह छौक्कर और जिले राम शर्मा को कांग्रेस में शामिल होने के बावजूद तत्कालीन स्पीकर कुलदीप शर्मा ने बचाए रखा, लेकिन हाईकोर्ट ने विधानसभा से निष्कासित कर दिया। हालांकि बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा जहां इन विधायकों को राहत मिल गई।

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