हाईकोर्ट से हस्तक्षेप पर हुई वार्ता
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर यह वार्ता आहूत की गई थी। रोडवेज कर्मचारी यूनियनों की हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के आह्वान पर रोडवेज के बेडे में 720 निजी बसों को किराए पर लाने के फैसलेको रद्य करने की मांग को लेकर पिछले 16 अक्टूबर से चक्काजाम हडताल की गई थी। इस हडताल के चलते आम यात्रियों को होने वाली परेशानी के मद्येनजर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर हडताल समाप्त कराने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद पिछले दो नवम्बर को रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी को हडताल समाप्त करने का आदेश दिया था। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि 14 नवम्बर तय करते हुए इस बीच 12 नवम्बर को राज्य के परिवहन विभाग और यूनियन नेताओं के बीच वार्ता किए जाने का आदेश भी दिया था।
इस मांग को लेकर फंसा पेंच
परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह और तालमेल कमेटी में शामिल यूनियनों के नेताओं के बीच वार्ता में निजी बसों को किराए पर लेने के मुद्ये पर गतिरोध बना रहा। इस मुख्य मांग पर कोई समझौता नहीं किया जा सका। यूनियन नेताओं का जोर इस बात पर रहा कि जब रोडवेज के बेडे में पहले से मौजूद चार हजार से अधिक बसों में से एक हजार बसें स्टाफ की कमी और टायर एवं अन्य पुर्जों की कमी से नहीं चलाई जा रही हैं तो पहले इन खडी बसों को चलाने के बजाय निजी बसें किराए पर लेने का फैसला सही नहीं है।
जल्द होगी सीएम से बात
उधर अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह का इस बात पर जोर था कि नीतिगत फैसला करने का अधिकार राज्य सरकार को है। वह नीतिगत फैसले लेकर प्रदेश के कामकाज को पूरा कर सकती है। यूनियन नेताओं ने कहा कि वे इस बात से सहमत हैं कि राज्य सरकार को नीतिगत फैसला करने का अधिकार है लेकिन नीति की खामियां उठाने का उन्हें भी अधिकार है। वार्ता के दौरान यूनियन नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी वार्ता मुख्यमंत्री से करवाई जाए। इस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह आश्वासन दिया कि उनकी यह मांग मुख्यमंत्री के समक्ष रखते हुए जल्दी वार्ता कराने का प्रयास किया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों के साथ अमानवीय व्यवहार करने का आरोप
यूनियन नेताओं ने बाद में कहा कि वार्ता विफल रही है। अब वे आगामी 14 नवम्बर को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के आदेश के मद्येनजर आगे की रणनीति तय करेंगे। यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया कि हडताल के दौरान जेलों में रखे गए उनके साथी नेताओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। एक महिला नेता से शौचालय साफ करवाया गया। खासकर भिवानी और रोहतक में इस तरह की घटनाएं हुई। साथ ही हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे भी वापस नहीं लिए गए। अधिकारियों की ओर से कहा गया कि पहले निजी बसों को किराए पर लेने का फैसला मंजूर किया जाए और इसके बाद ही मुकदमे व अन्य कार्रवाई वापस ली जाएगी।