हालांकि राज्य सरकार भी रोडवेज हडताल समाप्त कराने के लिए कर्मचारी नेताओं से वार्ता कर रही थी। लेकिन 720 निजी बसें किराए पर लेकर रोडवेज के बेडे में शामिल करने के मुद्ये पर दोनों पक्षों के बीच गतिरोध बना हुआ था। सरकार निजी बसों को किराए पर लेने का फैसला रद्य करने को तेयार नहीं थी जबकि कर्मचारी नेताओं का कहना था कि उनकी कुल 25 मांगों में से भले ही 24 मांगें छोड दी जाएं लेकिन निजी बसें किराए पर न लेने की मांग मंजूर की जाए। यह मांग
मंजूर न किए जाने तक हडताल समाप्त नहीं की जाएगी।
हाईकोर्ट ने वकील अरविन्द सेठ की याचिका पर सुनवाई करते हुए रोडवेज कर्मचारी नेताओं को हडताल समाप्त करने का आदेश दिया। याचिका में कहा गया था कि हडताल के कारण आम आदमी परेशान है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगलीतिथि 14 नवम्बर तय की है। राज्य सरकार को आदेश दिया है कि इससे पहले हडताल के सिलसिले में एस्मा आदि कानूनों के तहत बर्खास्त व निलंबित किया गया है उन्हें सेवा में बहाल किया जाए। गिरफ्तार किए गए कर्मचारी नेताओं को रिहा भी किया जाए।
अगली सुनवाई से पहले कर्मचारी नेताओं और राज्य सरकार के बीच वार्ता का विकल्प भी दिया गया है। राज्य सरकार ने रोडवेज हडताल से निपटने के लिए ऐवजी इंतजाम किए थे। अन्य प्रदेशों से बसें मंगवाई थीं और अस्थायी चालक व परिचालक नियुक्त किए थे लेकिन ये इंतजाम नाकाफी साबित हुए थे।