इस दिव्यांग व्यक्ति की पत्नी ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने पाया कि महिला ने पति और उसके परिवार के खिलाफ जो आपराधिक शिकायतें दर्ज कराई थीं, झूठी थीं। यह भी मानसिक प्रताड़ना के बराबर है। जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अर्चना पुरी की खंडपीठ ने महिला की फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग वाली अपील खारिज कर दी।
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इस दंपति की शादी अप्रैल 2012 में हुई थी। पति एक बैंक में काम करता है, जबकि पत्नी प्राइवेट स्कूल में टीचर है। महिला ने वर्ष 2016 में अपने पति को छोड़ दिया था। अपनी बेटी को भी उसने ससुराल में छोड़ दिया और कभी उससे मिलने की कोशिश भी नहीं की। कोर्ट ने पाया कि पति के परिवार ने कभी दहेज की मांग नहीं की और शादी के बाज महिला की उच्च शिक्षा के लिए भुगतान किया। यह भी पढ़ें
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छोटी-छोटी बातों पर झगड़ती थीपति ने कोर्ट को बताया कि पत्नी गर्म मिजाज व फिजूलखर्च है। वह छोटी-छोटी बातों पर झगड़ती थी, जिसके कारण वह अपमानित महसूस करता था। शादी के समय उसका वजन 74 किलोग्राम था, जो घटकर 53 किलोग्राम हो गया।