रोहतक को हरियाणा की राजनीतिक राजधानी कहा जाता है। जाट बाहुल क्षेत्र होने के चलते रोहतक को शुरू से ही जाटलैंड कहा जाता है। रोहतक नगर निगम के अंतर्गत रोहतक के अलावा कलानौर व गढ़ी सांपला का क्षेत्र आता है। सत्तारूढ़ भाजपा ने निगम चुनाव के दौरान यहां के 22 वार्डों में से एक भी जाट समुदाय के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में नहीं उतारा।
रोहतक में भाजपा के मंत्रियों ने चुनाव प्रचार के दौरान शहरी विकास को मुद्दा बनाने की बजाए खुलेआम यहां जाट आरक्षण आंदोलन को मुद्दा बनाकर लोगों के जख्म हरे करते हुए लोगों को वर्ष 2016 में हुई हिंसा की याद दिलाई। हिसार में भाजपा ने गैर जाटों पर भरोसा करके उन्हें चुनाव मैदान में उतारा। कमोबेश अन्य निगमों में भी भाजपा ने यह कार्ड चलाया।
पिछले चार साल से प्रदेश में हरियाणा एक हरियाणवी एक का नारा दे रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस चुनाव में खुद ही अपने नारे को समाप्त कर दिया। मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंच से खुलेआम न केवल पंजाबी समुदाय के समर्थन में भाषण देते हुए नजर आए बल्कि करनाल में पंजाबी होने के नाते जारी किए गए पोस्टर भी चर्चा का विषय रहे।
भाजपा ने जिस रणनीति के तहत चुनाव लड़ा उसमें अन्य सभी समुदायों के मतदाता एकजुट हो गए और जाट समुदाय के मतदाता दुविधा में फंस गए। हुड्डा व चौटाला इस चुनाव में जाट समुदाय को नेतृत्व प्रदान करने में बुरी तरह से फेल साबित हुए।
जिसके चलते तमाम विरोधाभासी अटकलों के बावजूद भाजपा मजबूत स्थिति में आगे आई। पांचों नगर निगमों के चुनाव में भाजपा द्वारा चलाया गया जाट व गैर जाट का कार्ड कामयाब रहा है। अब पार्टी नेतृत्व इसी रणनीति को आगे बढ़ाकर विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी में है।