आज यहां पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने किसी भी विपक्षी दल के नेता का नाम लिए बगैर कहा कि देश में पहली बार ऐसा हुआ था जब मांगे स्वीकार किए जाने के बाद भी आंदोलन शुरू हो गया था। खट्टर ने जाट आरक्षण आंदोलन को पूर्व हुड्डा सरकार की देन करार देते हुए कहा कि पूर्व सरकार ने बगैर किसी ठोस रणनीति के जाटों को आरक्षण प्रदान करके प्रदेश में नए राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया था।
उन्होंने कहा कि जाट आरक्षण आंदोलन के पीछे एक मांग नहीं बल्कि राजनीतिक साजिश थी। इस साजिश का मुख्य उद्देश्य भाजपा सरकार को अस्थिर करना था। कुछ ताकतों ने मिलकर यह साजिश रची थी। सरकार को इसके बारे में समय रहते पता चला गया और उसे खत्म कर दिया गया।
खट्टर ने रामपाल प्रकरण, जाट आंदोलन तथा डेरा सच्चा सौदा विवाद के लिए पूर्व की सरकारों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भाजपा सरकार जब सत्ता में आई तो सबसे पहले रामपाल प्रकरण हुआ। उस समय पता चला कि रामपाल के डेरे में 15 हजार लोग मौजूद हैं।
ऐसे में सरकार की प्राथमिकता हिंसा को रोकते हुए रामपाल को सलाखों को पीछे पहुंचाना था। जिसमें सरकार कामयाब हुई। उन्होंने कहा कि पूर्व की हुड्डा सरकार ने अगर जाट समुदाय को आरक्षण देने से पहले व्यवहारिकता के साथ योजना बनाई होती तो हरियाणा को फरवरी 2016 में हिंसा नहीं झेलनी पड़ती।
उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही मैं जाट समाज और खाप के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करता रहा। अंत में, 17 फरवरी, 2017 को एक प्रतिनिधि मण्डल की सुनवाई के बाद, जिसमें जाट समुदाय के अनेक बुजुर्ग और प्रतिनिधि शामिल थे, मैंने आगामी विधानसभा के सत्र में बिल लाने की उनकी मांग मान ली थी। उन्होंने मेरा सार्वजनिक रूप से धन्यवाद किया और वे चण्डीगढ़ से यह आश्वासन देकर चले गये कि वे रोहतक के आंदोलनकारियों से सडक़ से अवरोधों को उठाने के लिए कहेंगे।
मुझे यह पता नहीं कि क्यों कुछ लोग भडक़ा रहे थे। विश्व के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि मांगे पूरी होने के बाद एक आंदोलन हिंसक हो गया। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित एक दो सदस्यीय जांच आयोग इस हिंसा के पीछे की साजिश की जांच कर रहा है। मुझे इस बात का संतोष है कि 48 घण्टे के कम समय में हम सभी आगजनी की घटनाओं पर नियंत्रण करने में सफल रहे और जीवन और सम्पत्ति की हानि कुछ जिलों तक सीमित रही। सुरक्षाकर्मियों की गोलियों से कुछ आंदोलनकारी मारे गए।
मुख्यमंत्री ने उनके कार्यकाल में हुई तीनों घटनाओं पर सार्वजनिक मंच से शोक व्यक्त करते हुए मौतों को जहां दुखद करार दिया वहीं उन्होंने कहा कि गुरमीत राम रहीम का विवाद भाजपा सरकार के कार्यकाल में नहीं बल्कि वर्ष 1990 से चल रहा है। 25 अगस्त को पंचकूला में जो हालात पैदा हुए उनकी नींव वर्षों पहले रखी जा चुकी थी।
पंचकूला हिंसा में हुई मौतों को अफसोसजनक घटनाक्रम करार देते हुए खट्टर ने कहा कि सरकार ने एक रणनीति के तहत राम रहीम को पंचकूला बुलाया। अगर राम रहीम अपने डेरे में होता तो उसे बाहर निकालना बेहद मुश्किल हो सकता था और उन हालातों में हजारों लोगों की जान खतरे में डल जाती। सरकार ने हजारों-लाखों लोगों को बचाते हुए राम रहीम को न केवल पंचकूला पहुंचाया बल्कि सीबीआई कोर्ट के आदेशों पर उसे रोहतक की सुनारियां जेल तक भी पहुंचाया गया है।