हरियाणा की पूर्व हुड्डा सरकार की खेल नीति पर सवाल उठाने वाली भाजपा सरकार की हालत यह है कि पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान ओलंपिक तथा गैर ओलंपिक की श्रेणी में जिन खेलों को शामिल किया गया था, उन्हीं को आधार बनाकर मनोहर सरकार ने वर्ष 2015 में अपनी खेल नीति का ऐलान किया था।
हरियाणा में सत्ता परिवर्तन के बाद जनवरी 2015 में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार ने नई खेल नीति का ऐलान किया था। इस खेल नीति का ऐलान करते समय ओलंपिक की श्रेणी में बैडमिंटन, बास्केटबॉल, कुश्ती आदि समेत कुल 26 खेलों को शामिल किया गया था। इसके अलावा मनोहर सरकार की खेल नीति में नॉन ओलंपिक खेलों की श्रेणी में बेस बॉल, शतरंज, क्रिकेट व योगा समेत 16 खेलों को शामिल किया गया था।
दिलचस्प बात यह है कि मनोहर सरकार ने खेल नीति को घोषित करते हुए जिस सूची को शामिल किया वह पूर्व की हुड्डा सरकार द्वारा ही जारी की गई थी। पंजाब के डेराबस्सी उपमंडल के गांव हरीपुर निवासी साबर अली द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत हासिल की गई जानकारी में पता चला है कि प्रदेश सरकार ने खेल नीति घोषित करने के बाद खेल सूची में नई खेलों को शामिल करने तथा पुरानी खेलों को निकालने की प्रक्रिया शुरू की।
खट्टर सरकार ने हरियाणा में खेलों को नए सिरे से अधिसूचित करने के लिए एक कमेटी का गठन किया। खेलकूद विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में खेलकूद विभाग के निदेशक, हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा रोहतक विश्वविद्यालय में खेलकूद विभाग के निदेशकों को इस कमेटी में बतौर सदस्य लिया गया। इसके अलावा अर्जुन अवार्डी खिलाड़ी सुनीता शर्मा तथा एम.के.कौशिक को इस कमेटी में नामजद सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
हरियाणा सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने 19 दिसंबर 2015 को इस कमेटी की अधिसूचना जारी कर दी थी। पिछले दो वर्ष के भीतर इस कमेटी ने रिपोर्ट देना तो दूर की बात है कि कोई बैठक करके खेलों को अधिसूचित करने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की।
कैसे काम करेगी कमेटी
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार उक्त कमेटी को यह तय करना था कि प्रदेश में पिछले दो वर्ष के दौरान जिन खेलों को खिलाड़ी नहीं मिल रहे हैं उन्हें सूची से बाहर करने तथा जिन खेलों की तरफ खिलाडिय़ों का आकर्षण लगातार बढ़ रहा है उन्हें सरकार की सूची में शामिल करके मान्यता दी जाती है। सरकारी सूची के आधार पर ही सरकार द्वारा खिलाडिय़ों को मान्यता प्रदान करते हुए उन्हें राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर न केवल खेलों के नए अवसर प्रदान किए जाते हैं बल्कि ईनामी राशि देते समय भी इसी सूची को आधार बनाया जाता है।