scriptहुड्डा नेतृत्व में आ सकते हैं कांडा,विनोद शर्मा व इनेलो के कई नेता | Many leaders of Kanda Vinod Sharma and INLD may come under Hooda | Patrika News

हुड्डा नेतृत्व में आ सकते हैं कांडा,विनोद शर्मा व इनेलो के कई नेता

locationहिसारPublished: Jan 09, 2018 09:40:13 pm

पिछले तीन साल से अशोक तंवर के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे में इन दिनों मायूसी छाई हुई है

bhupinder singh hooda

चंडीगढ़। राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं होता। पिछले तीन साल से अशोक तंवर के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे में इन दिनों मायूसी छाई हुई है। अशोक तंवर के अध्यक्ष बनने के बाद से लेकर अभी तक कई मौके ऐसे आए हैं जब हुड्डा समर्थक विधायक अशोक तंवर और किरण चौधरी को पद से हटाने की मांग पार्टी हाईकमान से कर चुके हैं।

वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बारे में यह खबरें भी सार्वजनिक होती रही हैं कि वह बहुत जल्द अपनी राजनीतिक पार्टी का भी गठन कर सकते हैं। हालांकि हुड्डा खुद इस बात से इनकार करते रहे हैं लेकिन हुड्डा की पिछले समय की राजनीतिक गतिविधियों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो यह साफ संकेत मिलते हैं कि हुड्डा गुट को अगर पंजाब की तरह हरियाणा कांग्रेस हाईकमान द्वारा फ्री हैंड नहीं दिया जाता है तो वह कोई बड़ा सियासी फैसला कर सकते हैं।


हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा पिछले चुनाव में हरियाणा लोकहित पार्टी का गठन करने वाले हुड्डा सरकार के गृहराज्य मंत्री रहे गोपाल कांडा तथा वर्ष 2005 हुड्डा को सत्ता की सीढ़ी चढ़ाने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा पिछले तीन वर्ष से लगातार हुड्डा के संपर्क में हैं। सूत्रों की मानें तो कुछ समय पहले गोपाल कांडा के हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस वापसी की खबरें भी आई थी लेकिन यह घटनाक्रम दब गया था।


अब राहुल गांधी का पत्र जारी होने के बाद हुड्डा खेमे में फिर से नई सुगबुगाहट शुरू हो गई है। हरियाणा में पिछले पचास वर्ष के इतिहास पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ होती है कि कांग्रेस के ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने पार्टी से बागी होकर अपने दलों का गठन करके सत्ता हासिल की थी। एक नवंबर 1966 को हरियाणा गठन के समय भले ही भगवत दयाल शर्मा हरियाणा के प्रथम मुख्यमंत्री बने लेकिन कुछ समय बाद ही कांग्रेस पार्टी ने प्रथम सरकार राव बीरेंद्र को कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया और उन्होंने विशाल हरियाणा पार्टी के नाम से नए दल का गठन कर दिया।

इसके बाद वर्ष 1968 से 1975 तथा वर्ष 1985 से 1987 तक हरियाणा में कांग्रेस के बैनर तले सत्ता संभालने वाले स्वर्गीय बंसीलाल ने भी वर्ष 1996 में कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी का गठन करके सत्ता हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 1991 से 1996 तक हरियाणा में कांग्रेस के बैनर तले मुख्यमंत्री रहे भजनलाल को जब कांग्रेस पार्टी ने 2005 में मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो उन्होंने दिसंबर 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) का गठन कर लिया।

हजकां ने हरियाणा में कई चुनाव लड़े लेकिन जब सत्ता हासिल करने के सभी प्रयास विफल हुए तो हजकां का वापस कांग्रेस में विलय कर दिया गया। अब एक बार फिर से हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा नई पार्टी के गठन की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जिसमें हुड्डा को न केवल पुराने साथ गोपाल कांडा, विनोद शर्मा का साथ मिलेगा बल्कि विपक्षी दल इनेलो में अनदेखी महसूस कर रहे कई शीर्ष नेता भी हुड्डा के नेतृत्व में आ सकते हैं।

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