चंडीगढ़. हरियाणा सरकार के दावों के बावजूद प्रदेश से हजारों मजदूरों के पलायन ने किसानों की सांसे सूखा दी हैं। प्रदेश में अगले सप्ताह से गेहूं कटाई का सीजन शुरू होने जा रहा है। ऐसे में किसानों के सामने नया संकट पैदा हो गया है। इस बार सीजनल लेबर आने की कोई संभावना नहीं है और जो मजदूर यहां अटके हुए थे वह भी पलायन कर चुके हैं।
लॉकडाउन के चलते हरियाणा के सोनीपत,गुरुग्राम,फरीदाबाद,रोहतक, झज्जर आदि जिलों से प्रवासी मजदूर पलायन कर चुके हैं। किसानों की मानें तो इनमें बहुत से ऐसे भी थे जो यहां सामान्य दिनों में दिहाड़ी मजदूरी करते थे और सीजन के दिनों में खेतों में काम करते थे।
किसानों के अनुसार हरियाणा में पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, मुज्जफरनगर, बहराइच जिलों तथा बिहार के सीतामढ़ी, अरडिय़ा तथा दरभंगा जिलों से सीजनल लेबर धान की रोपाई और गेहूं की कटाई के लिए आती है। यह लेबर यहां किसानों के साथ पहले से ही अनुबंधित हैं।
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रवक्ता राकेश बैंस के अनुसार किसानों की जो पक्की लेबर है वह धान की फसल के बाद आलू की पटाई का काम पूरा करके फरवरी माह के दौरान अपने घर जा चुकी है। आमतौर पर यह लेबर मार्च माह के अंतिम सप्ताह में हरियाणा में आनी शुरू हो जाती है। लॉकडाउन के चलते रेल सेवाएं बंद हैं। जिसके चलते यह तय माना जा रहा है कि इस बार यूपी व बिहार के उक्त जिलों से आने वाली लेबर नहीं आएगी।
जो दिहाड़ीदार यहां मौजूद थे वह पलायन कर चुके हैं। बीकेयू के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी के अनुसार प्रदेश में यमुनानगर व करनाल आदि जिले ऐसे हैं जहां कई हिस्सों में प्रवासी मजदूरों की मदद से गेहूं की कटाई होती है जबकि प्रदेश के अन्य हिस्सों में मशीनों से कटाई होती है। उन्होंने बताया कि गेहूं की कटाई के बाद भूसा भरने, मंडियों में पैकिंग तथा पल्लेदारी करने, गेहूं की झराई तथा ढुलाई का काम प्रवासी मजदूरों द्वारा किया जाता है। वर्तमान में सरकार के दावों के उलट प्रदेश में प्रवासी मजदूर नाममात्र संख्या में ही बचे हैं। ऐसे में गेहूं की कटाई के दौरान किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
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