सरकार का तर्क है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं के बिजली बिलों के सरचार्ज माफ करने से जहां रिकवरी बढ़ेगी, वहीं उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिलने के बाद उनमें बिल भरने की आदत भी जन्म लेगी। सरकार ने पिछले दिनों सरकारी विभागों पर बकाया बिलों की वसूली के लिए 455 करोड़ रुपये का सरचार्ज माफ किया था। बिजली विभाग की करीब चार हजार करोड़ रुपये की रिकवरी बकाया है।
सरकार ने हाल ही में 200 यूनिट तक बिजली के रेट घटाकर ढ़ाई रुपये प्रति यूनिट किए हैं। पहले यह रेट साढ़े चार रुपये प्रति यूनिट तक थे। प्रदेश सरकार के इस निर्णय का फायदा 500 यूनिट तक खपत करने वाले बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगा। राज्य सरकार सस्ती बिजली देने के लिए बिजली निगमों को करीब 600 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी।
हरियाणा सरकार कृषि क्षेत्र को पहले ही सस्ती बिजली दे रही है। कृषि बिजली के क्षेत्र में साढ़े सात हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। बिजली के रेट घटाने के बाद अब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बकाया बिलों की रिकवरी की है। बिजली निगमों ने राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया है कि यदि बकाया बिलों पर सरचार्ज खत्म कर दिए जाएं तो उपभोक्ता आसानी से बिजली के बिल जमा करा सकते हैं।
बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री तक पहुंचा दिया है। बिजली निगमों के इस प्रस्ताव को लागू करने को लेकर सरकार बेहद गंभीर है। सरकार के समक्ष दलील रखी गई कि बिजली के रेट घटाने के बाद उपभोक्ताओं को नए बिल भरने में अधिक आर्थिक दिक्कल नहीं आएगी। जो उपभोक्ता कम बिजली यूज करते हैं, उनके बिल आधे हो जाएंगे। मध्यम श्रेणी के उपभोक्ता 500 यूनिट से अधिक बिजली शायद ही खर्च कर पाते हैं। लिहाजा मुख्य लक्ष्य अब पुराने बिलों की वसूली का भी होना चाहिए। हरियाणा सरकार अब यह खाका तैयार करने में लगी है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं का सरचार्ज माफ करने के लिए मूल राशि की वसूली की प्रक्रिया कैसे की जाए।