विधायकों पर हमलों को लेकर प्रदेश सरकार आजतक गंभीर नहीं हुई है। सरेआम असमाजिक तत्वों द्वारा विधायकों की गाडिय़ों को रोका जा रहा है। सत्तारूढ़ दल भाजपा से जुड़ी पानीपत शहर की महिला विधायक रोहिता रेवड़ी शनिवार को दूसरी बार हमले का शिकार हुई हैैं। उनसे पहले करीब आधा दर्जन विधायक हमले व चोरी की घटनाओं का शिकार हो चुके हैैं।
इनमें महिला विधायकों की संख्या चार है। प्रदेश में सांसदों, विधायकों और अधिकारियों को सरकारी सुरक्षा प्रदान किए जाने का प्रावधान है। आम आदमी से लेकर नामचीन उद्योगपति, पूर्व राजनेता, पूर्व अधिकारी और पूर्व न्यायाधीश तक को भी सुरक्षा है। इन सुरक्षाकर्मियों का खर्च सरकारी खजाने पर अलग से बोझ है। प्रदेश में विधायकों के जान-माल के खतरे का मुद्दा शीतकालीन सत्र से पहले विधानसभा में उठ चुका है।
हालांकि अब तक विधायकों के साथ हुई अभद्र व्यवहार की घटनाओं के मामले में सीआईडी व अन्य खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गई रिपोर्ट में इन्हें आपसी रंजिश व निजी विवाद को मुख्य आधार बताया है। जिसके चलते सरकार भी पिछले तीन वर्षों में इसे लेकर गंभीर नहीं हुई है। इसके बावजूद विधायकों पर हो रहे हमलों से सरकार की छवि धूमिल हो रही है। जनता में इसका नकारात्मक संदेश जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले तीन वर्ष के दौरान हुई इन घटनाओं की जांच के दौरान पुलिस को कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली है।
रोहिता रेवड़ी पर दूसरी बार हुए हमले से पहले नारनौल के भाजपा विधायक ओमप्रकाश यादव उस समय बदमाशों के निशाने पर आए जब वह हलके में दौरे पर थे। बदमाशों ने पीछा कर उनकी गाड़ी रूकवाई और लूटपाट कर फरार हो गए। इस दौरान सुरक्षा कर्मियों के साथ भी मारपीट की गई। दलील दी गई थी कि विधायक गाड़ी में सोते रहे।
यमुनानगर के पूर्व इनेलो विधायक दिलबाग सिंह के भाई राजेंद्र सिंह पर भी कुछ युवकों ने गोली चलाई। यह मुद्दा राजनीति गलियारों में खूब गूंजा। अंबाला जिले के मुलाना की भाजपा विधायक संतोष सारवान पर शराब माफिया के हमले का आरोप है। सारवान पर हमले के विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि सरकार को खुद स्पष्टीकरण देना पड़ा। असल आरोपी आज तक सामने नहीं आ सके। इस हमले में एक राज्य मंत्री का नाम भी आया।
आदेशों का पालन नहीं करते सुरक्षा कर्मी
हरियाणा में विधायकों पर होने हमलों में उनके सुरक्षा कर्मियों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। भाजपा विधायक संतोष सारवान पर हुए हमले के बाद पुलिस महानिदेशक ने विधायकों की सुरक्षा में तैनात सभी पुलिस कर्मियों को निर्देश जारी किए थे कि वह विधायकों के साथ डयूटी के समय वर्दी पहनेंगे। डीजीपी के यह आदेश कुछ दिनों तक ही धरातल पर दिखाई दिए। इसके बाद अब फिर से विधायकों के सुरक्षा कर्मियों द्वारा वर्दी पहनने की बजाए सादा वर्दी को ही तरजीह दी जा रही है।
वीआईपी को खल रही है लालबत्ती की कमी
केंद्र सरकार ने वीआईपी कल्चर को सामप्त करने के उद्देश्य से विधायकों तथा अन्य वीआईपी की गाडिय़ों पर लगने वाली बत्तियों को उतारने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इस तरह की घटनाओं में विधायकों अथवा अन्य वीआईपी की गाडिय़ों पर लगने वाली बत्ती की कमी खलती रही है। हरियाणा के कई विधायकों द्वारा दबी-दबी जुबान में इस फैसले का विरोध किया जाता रहा है। क्योंकि गाडिय़ों से बत्ती हटले के बाद टोल प्लाजा पर अक्सर वीआईपी के झगड़े होते रहते हैं