तो वहीं मंत्री के पास स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ तीन अन्य विभागों का भी प्रभार था। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री उनके कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे थें। जिसके बाद उन्होंने इस्तीफे दे दिया। जयंत कुमार नेशनल पीपुल्स पार्टी के विधायक हैं, जो मणिपुर में भाजपा की सहयोगी पार्टी है।
सूत्रों के मुताबिक, सीएम किसी भी राजनीतिक टकराव को टालने के लिए नई दिल्ली पहुंचे हैं, जहां पार्टी आलाकमान के साथ इस मुद्दे पर उनकी चर्चा संभव है। तो वहीं मंत्री ने शुक्रवार शाम को अपना इस्तीफा खुद मुख्यमंत्री को सौंपा था।
गौरतलब है कि बीरेन सिंह के पास कार्मिक मंत्रालय भी है और इसी हैसियत से उन्होंने जयंत कुमार से बिना परामर्श लिए स्वास्थ्य निदेशक ओकराम इबोमचा को निलंबित कर दिया था। तो वहीं निलंबित किए गए अधिकारी पर किसी तरह का खास आरोप नहीं लगाया गया है। लेकिन उन्हें पिछली सरकार के सीएम ओकराम इबोबी सिंह के नजदीकी रिश्तेदार बताया जा रहा है।
जयंत कुमार एनपीपी के उन चार विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने 15 मार्च को बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी। तो वहीं सूत्रों के मुताबिक, एनपीपी के कुछ अन्य विधायक, जिन्हें मंत्री बनाया गया है, भी अपने विभाग को लेकर नाखुश बताए जा रहे हैं।
इस्तीफा पत्र में कहा गया है कि उन्हें मंत्री बनाने के लिए वह मुख्यमंत्री के शुक्रगुजार हैं। लेकिन अपने काम में दखलंदाजी के कारण वह अपने पद पर बने रहने में सक्षम नहीं हैं। उरीपोक से एनपीपी विधायक तथा पूर्व पुलिस महानिदेशक वाई. जॉय कुमार कथित तौर पर गृह मंत्रालय चाहते थे, जो उग्रवादग्रस्त मणिपुर में महत्वपूर्ण है। लेकिन बीरेन ने गृह विभाग अपने पास रखा है। जॉय कुमार राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं।
गठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल ने 15 मार्च को शपथ ली थी। जिसमें भाजपा, एनपीपी, नागा पीपुल्स फ्रंट, एलजेपी तथा कांग्रेस के नौ विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। तो वहीं 23 मार्च को तीन अन्य ने मंत्री पद तथा 12 अन्य ने संसदीय सचिव के रूप में शपथ ली थी।