घर बनाने से पहले हर चीज का बजट निर्धारित करना जरूरी होता है। फर्श गे्रनाइट का हो या मार्बल का या टाइल्स इत्यादि का, इसके अलावा पूरे घर में फैब्रिक पेंट करवाना चाहेंगे या वॉल पेपर के साथ कॉम्बिनेशन में अपने घर को पेंट करवाना चाहेंगे। हर रूम में फॉल्स सीलिंग चाहिए या सिर्फ लिविंग रूम में ही, यह भी बजट के अनुसार तय करेें। मार्केट में हर चीज के रेट्स अच्छे से पता करने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू करवाएं।
मार्केट में आजकल क्या नया आया है या किस तरह का बिल्डिंग मैटेरियल ट्रेंड में है, यह सब जानने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू करवाएं। उदाहरण के लिए आजकल मकानों की बाहरी दीवारें परमानेंट रैडी मैटेरियल से बनने लगी हैं। इससे हर साल घर पेंट करने की सिरदर्दी से बचा जा सकता है। इसके अलावा आजकल बिजली के कलरफुल प्रिंटेड मैंचिग स्विच बोर्ड्स के साथ ही ऐसे बोर्ड भी आने लगे हैं, जिसमें स्विचेज के साथ ही बोर्ड में एमसीबी एवं यूएसबी पोर्ट भी बना होता है।
घर में सूर्य का जितना प्रकाश आता है, उतना ही अच्छा रहता है। इसलिए घर का नक्शा कुछ ऐसा बनाए अथवा बनवाएं, जिसमें ज्यादा से ज्यादा खिड़कियां अथवा दरवाजे हों। इसी के साथ पार्किंग एरिया का भी विशेष ध्यान रखें। हो सके तो एक छोटा सा गार्डन एरिया जरूर रखें।
अक्सर जल्दबाजी में हम वास्तु का खयाल रखे बिना बेतरतीब मकान खड़ा कर देते हैं। इसके बाद जब परिवार उस घर में रहने लगता है, तो कुछ न कुछ अप्रिय घटनाएं होने लगती हैं। घर में बनाए जाने वाले स्टोर रूम से लेकर पूजा घर, किचन, बच्चों का कमरा, मास्टर बेडरूम सहित लिविंग रूम तक की एक दिशा निर्धारित है। इसलिए घर बनाने से पहले वास्तु का खयाल रखना भी जरूरी है।