हाल ही में काशी के पंडितों ने भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि गुरु चांडाल योग बनने के कारण पूरे विश्व पर तबाही का खतरा मंडरा रहा है
हाल ही में
काशी के पंडितों ने भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि गुरु चांडाल योग बनने के कारण पूरे विश्व पर तबाही का खतरा मंडरा रहा है। जैन मुनि ऋषभचंद विजय ने भी ऐसी ही चेतावनी देते हुए कहा है कि सिंहस्थ महापर्व के दौरान अप्रैल-मई में कई ग्रहों का एक साथ वक्री होना कई असाधारण घटनाओं को जन्म दे सकता है। उनके अनुसार आने वाले समय में भारत को किसी भीषण प्राकृतिक आपदा, युद्ध, जनहानि अथवा राजनीतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ सकता है।
ये भी पढ़ेः रातों-रात भाग्य बदल देता है ये उपाय, बहुत मजबूरी में ही अपनाएंगुरु चांडाल योग के साथ चार ग्रह होंगे वक्रीज्योतिष की दृष्टि से 25 मार्च को शनि, 17 अप्रैल को मंगल, 28 अप्रैल को बुध वक्री होंगे तथा गुरु भी 9 मई तक वक्री राहु के साथ चांडाल योग बना रहा है। एक साथ इतने ग्रहों का वक्री होना तथा गुरु चांडाल योग का बनना विश्व के लिए घातक बना हुआ है।
ये भी पढ़ेः होली पर मां काली की ये आराधना बदल देती है भाग्य427 वर्ष बाद बना है यह अशुभ योगलगभग 427 साल पहले वर्ष 1589 में भी ऐसी ही स्थितियां बनी थी। उस समय यूरोप में प्लेग फैलने से यूरोप की दो तिहाई आबादी खत्म हो गई थी जबकि भारत सहित एशिया तथा यूरोप में देशों में धर्म तथा विज्ञान के बीच संघर्ष शुरू हो गया था जिसके चलते हजारों लोगों को अपनी जान देनी पड़ी। लगभग उसी समय चंगेज खान ने मंगोलिया से निकल कर अपना विश्व विजय अभियान शुरू किया। इस अभियान के दौरान उसके सैनिकों के हाथों लाखों लोगों को मरना पड़ा तथा कई क्षेत्र हमेशा के लिए उजड़ गए।
ये भी पढ़ेः बेडरूम में अपनाएं ये टिप्स, लाइफपार्टनर मानेंगे आपकी हर बातउत्तर भारत पर होगा असरजैन मुनि के अनुसार अप्रैल में बनने वाले इन अशुभ संयोगों के चलते बड़े भूकम्प, भूस्खलन, युद्ध, बड़े राजनेताओं की मृत्यु की प्रबल आशंका है, जिससे राजनीतिक उथल-पुथल होगी। भीषण गर्मी, मूसलाधार बारिश, आंधी-तूफान के कारण हजारों लोगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। सरकार के लिए भी यह समय अत्यन्त संकटदायक होगा।
धर्म-कर्म में रूचि रखने वाले भक्त श्रद्धालुओं के लिए भी यह समय कष्टदायी सिद्ध होगा। मुनि ऋषभचंद विजय की भविष्यवाणी के अनुसार ग्रहों की यह अशुभ ज्योतिषीय युति पूरे विश्व पर खतरे का संकट पैदा कर रही है। यह दुनिया के विभिन्न देशों में गृहयुद्ध अथवा महायुद्ध, बड़ी प्राकृतिक आपदाओं आदि का कारण बन सकती है।