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कुंडली से जानिए, कब बनेंगे आपके विदेश जाने के योग

Published: Mar 30, 2015 02:50:00 pm

भारतीय ज्योतिष के अनुसार कुंडली देखकर सहज ही पता लगाया जा सकता है कि आपके विदेश जाने के योग कब बनेंगे

Janm Kundli Horoscope

Janm Kundli Horoscope

अगर लग्न से तीसरा भाव मजबूत हो तो ही व्यक्ति सफल यात्राएं कर पाता है। इसके साथ ही बारहवां भाव घर छोड़ने में मदद करता है। विदेशी संबंधों को भी बारहवें भाव से ही देखा जाता है। यह भाव मूल रूप से क्षरण का भाव है। यह क्षरण पैसा खर्च होने के रूप में भी हो सकता है और शारीरिक क्षरण के रूप में भी। किसी लग्न विशेष में तीसरे भाव के अधिपति और बारहवें भाव के अधिपति की दशा या अंतरदशा आने पर जातक को घर से बाहर निकलना पड़ता है। जब तक यह दशा रहती है, जातक घर से दूर रहता है। अधिकतर मामलों में दशा बीत जाने के बाद जातक फिर से घर लौट आता है।

जिस व्यक्ति की कुंडली में लग्न और बारहवें भाव के अधिपतियों का अंर्तसंबंध होता है वे न केवल घर से दूर जाकर सफल होते हैं, बल्कि परदेस में ही बस भी जाते हैं। पारंपरिक भारतीय ज्योतिष के अनुसार तीसरे भाव और बारहवें के अधिपति की दशा या अंतरदशा में जातक छोटी यात्राएं करता है। वहीं नौंवे और बारहवें भाव के अधिपति की दशा या अंतरदशा में लंबी यात्राओं के योग बनते हैं। छोटी और लंबी यात्रा का पैमाना सापेक्ष है। छोटी यात्रा कुछ सप्ताह से लेकर कुछ महीनों तक की हो सकती है तो लंबी यात्रा कुछ महीनों से सालों तक की। इसी के साथ छोटी यात्रा जन्म या पैतृक निवास से कम दूरी के स्थानों के लिए हो सकती है तो लंबी यात्राएं घर से बहुत अधिक दूरी की यात्राएं भी मानी जा सकती हैं।

इसे कहेंगे विदेश यात्रा

किसी जातक के लिए हवाई यात्रा, ट्रेन या बस से यात्रा करने के अलावा विदेश यात्रा के बारे में ना नहीं कहा जा सकता। इसके इतर विदेश यात्रा से अर्थ यह लगाया जाने लगा है कि जातक घर से दूर और लाभ या हानि कमाने वाला समय। यानी आजीविका के लिए परदेस गमन ही विदेश यात्रा मानी जाएगी। अगर केवल यात्री की भांति पांच या सात दिन में घूमकर लौट आए तो उसे विदेश यात्रा में शामिल करना मुश्किल है।
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